नहाने हमारे जीवन की एक ऐसी क्रिया है, जो न केवल आपके तन को साफ-सुथरा करती है, बल्कि इससे आपको मानसिक तौर पर भी ताजगी महसूस होती है. रोज सुबह उठकर नित्यकर्म करने के बाद नहाना हम सब का रोज का काम है. कड़ाके की ठंड में नहाते हुए ज्यादातर लोग गर्म पानी से नहाते हैं. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो इस कड़ाके की सर्दी में भी ठंडे पानी से ही नहाते हैं. पर कभी आपने सोचा है कि नहाते समय शरीर के किस अंग पर सबसे पहले पानी डालना चाहिए? प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि हमारे धार्मिक ग्रंथों में नहाने की भी शास्त्रीय पद्धति के बारे में बताया गया है.
नहाते समय इस अंग पर डालें सबसे पहले पानी
प्रेमानंद महाराज बताते हैं, ‘स्नान में हमेशा ठंडे जल का उपयोग करें. साथ ही शास्त्रीय पद्धति कहती है कि सबसे पहले नाभि से स्नान करना चाहिए. जल पहले नाभि में डालें और फिर स्नान करें. ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले लोगों को तो यही पद्धति अपनानी चाहिए. साथ ही नहाते वक्त साबुन-सोडा, जो फैक्ट्री में बनता है, उसका भी उपयोग न करें. इसकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी. आपके शरीर में मैल तब जमा होता है, जब आप तेल लगाते हैं. क्योंकि तेल पर गंदगी चिपकती है. आप रज (मिट्टी) लगाएं, उससे शरीर में कभी मैल नहीं लगेगा.’
प्रेमानंद महाराज ब्रह्मचारियों को बताते हुए कहते हैं, ‘ अगर जटा साफ करनी है तो आप रीठा है या ऐसी पवित्र चीजे हैं, इनसे साफ कर लो. आप महकता हुआ साबुन लगाकर ब्रह्मचारी कैसे बन सकते हैं. जब आप इस तरह की चीजों का इस्तेमाल नहाने में करते हैं तो इससे राग उत्पन्न होता है. त्वचा खुद ही साफ रहेगी अगर आप तेल नहीं लगएंगे तो. अगर आप ब्रह्मचर्य में हैं तो तेल लगाने की जरूरत ही क्या है? ठंडे पानी से नहाना ब्रह्मचारी के लिए अति आवश्यक है.’