पीलीभीत : पीलीभीत में हुए एनकाउंटर को भले ही 8 दिन बीत गए हों लेकिन पीलीभीत पुलिस का एक्शन अभी थमा नहीं है. खालिस्तानी आतंकियों के स्थानीय मददगारों से लेकर उनकी स्थानीय गतिविधियों को खंगालने के लिए पुलिस की 12 टीमें दिन रात पूरनपुर में कैंप कर रही हैं. बीते 23 दिसंबर को पीलीभीत व पंजाब पुलिस की संयुक्त मुठभेड़ में तीन खालिस्तानी आतंकी गुरविंदर सिंह, वरिंदर सिंह और जश्नप्रीत सिंह ढेर हुए थे. तीनों युवक पंजाब के गुरदासपुर जिले में आतंकी घटना को अंजाम देकर पीलीभीत के पूरनपुर में शरण लिए हुए थे. पीलीभीत पुलिस के लिए यह बात चिंताजनक थी. आतंकी पीलीभीत ही क्यों आए थे, यहां उनके मददगार कौन थे और यहां रहने के दौरान उनकी क्या गतिविधियां थी.
इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक अविनाश पांडे ने 4 थाना प्रभारियों समेत 12 पुलिस टीमों को ज़िम्मा सौंपा. हालांकि जांच के पहले दिन ही पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे. पुलिस उस होटल तक भी जा पहुंची जहां खालिस्तानी आतंकियों ने शरण ली थी. वहीं होटल में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के आधार पर पुलिस आतंकियों के स्थानीय मददगारों तक भी पहुंच गई. पीलीभीत के गजरौला ज़ब्ती इलाके का रहने वाला जसपाल उर्फ़ सनी आतंकियों का स्थानीय मददगार बना हुआ था. जांच में यह भी सामने आया की खालिस्तानी ज़िंदाबाद फ़ोर्स (KZF) के तीनों आतंकियों का लिंक एनआईए के 10 लाख के इनामी बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) के दुर्दांत आतंकी कुलबीर सिंह उर्फ सिद्धू से था. सिद्धू ने ही इस इन तीनों को पूरनपुर का रास्ता दिखाया और फाइनेंस किया.
पुलिस खंगाल रही सिद्धू का पूरनपुर लिंक
स्थानीय आतंकियों के मददगार जसपाल से मिली जानकारी के आधार पर यह भी सामने आया कि लॉकडाउन के दौरान सिद्धू लंबे अरसे तक पूरनपुर के अलग-अलग इलाकों में रुका था. इस दौरान उसने कई स्थानीय लिंक भी डेवलप किए. कुलबीर सिंह उर्फ़ सिद्धू और उसका स्थानीय मददगार जसपाल उर्फ सनी युवाओं को विदेश भेजने का झांसा देकर ख़ुद से जोड़ कर रखते थे. इसी दौरान एक मामला सामने आया जिसमें एक इमीग्रेशन एजेंट ने बब्बर खालसा के कुलबीर सिंह उर्फ़ सिद्धू और उसके एक अन्य साथी पर 10 लाख रुपए की फिरौती मांगने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई. इसके बाद से ही पुलिस व जांच एजेंसियां पूरे मामले की तह तक जाने की कोशिश में जुटी हुई हैं.
पुलिस के कब्जे में 60 सीसीटीवी डीवीआर
गौरतलब है कि पीलीभीत एसपी अविनाश पांडे ने 4 थाना प्रभारी, 12 पुलिस टीमों को इन सभी मामलों की जांच की ज़िम्मेदारी सौंपी है. वहीं एसपी खुद भी लगातार पूरनपुर में ही कैंप कर रहे हैं. आतंकी होटल से निकलने के बाद 24 घंटे से भी अधिक समय तक बाहर घूमे थे. ऐसे में उनकी क्या कुछ गतिविधियां रहीं यह जानना भी पुलिस के लिए ज़रूरी हो गया. ऐसे में पुलिस ने पूरनपुर बाज़ार के तकरीबन 60 सीसीटीवी डीवीआर को क़ब्ज़े में लिया है जिनकी बारीकी से जांच की जा रही है.
मोबाइल लूट का नहीं हुआ खुलासा
23 दिसंबर को हुए एनकाउंटर के बाद पीलीभीत शहर से सटे दहगला गांव के समीप 25 दिसंबर को हुई घटना से हड़कंप मचा दिया था. एक किसान ने पीलीभीत में एफआईआर दर्ज कराते हुए बताया कि 25 दिसंबर को देर शाम 3 युवकों ने माउजर के दम पर उनका मोबाइल फोन लूट लिया. लेकिन इस दौरान उन युवकों ने किसान से जो कहा वह हैरान करने वाला था. युवकों ने मोबाइल लेते समय के साथ से कहा कि हमारे तीन साथी मारे जा चुके हैं वहीं 3 बिछड़ गए हैं. उनसे सम्पर्क साधने के लिए मोबाइल की ज़रूरत है. ऐसे में आशंका जताई जा रही थी की कुछ और खालिस्तानी आतंकियों अभी भी पीलीभीत में छिपे हुए हैं. हालांकि घटना के 8 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 1, 2025, 19:10 IST