JEE Success Story: कहा जाता है कि अगर घर में कोई एक तरक्की कर जाता है, तो पूरा घर उसी के अनुरूप चलने लगता है. ऐसे ही कहानी एक लड़की की है, जो जेईई की परीक्षा में 12वीं रैंक हासिल की थी. उनके भाई अंकित ने भी वर्ष 2007 की आईआईटी जेईई की परीक्षा में छठी रैंक हासिल की थी. वह पहले डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन जेईई की परीक्षा को पास करके पूरे परिवार का नाम रोशन कर दी थी. हम जिनकी बात कर रहे हैं, उनका नाम सुमेघा गर्ग (Sumegha Garg) है.
सुमेघा गर्ग पंजाब के भटिंडा जिले से ताल्लुक रखती हैं. गर्ग परिवार को अपनी बेटी सुमेघा पर गर्व है. उन्होंने न केवल आईआईटी-जेईई 2011 की परीक्षा में 12वीं रैंक हासिल की बल्कि लड़कियों में टॉप किया. वह अपने परिवार के लिए इतिहास भी दोहराया. उनके भाई अंकित ने वर्ष 2007 में आईआईटी-जेईई में छठी रैंक हासिल की थी. उन्होंने अपने भाई की सफलता से आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के लिए प्रेरित हुए. सुमेघा को अच्छी रैंक की उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह लड़कियों के बीच टॉप करेगी.
IIT Delhi से किया बीटेक
सुमेघा ने जेईई की परीक्षा को क्रैक करने के बाद IIT Delhi से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की हैं. लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार इसके बाद उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में PhD की डिग्री हासिल की है. बीटेक करने के बाद वह मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में विजिटिंग स्टूडेंट्स भी रही हैं. इसके अलावा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में राबिन पोस्टडॉक्टोरल फेलो के रूप में भी काम किया है.
अब करती है ये काम
जेईई 2011 में 12वीं रैंक लाने वाली सुमेघा फिलहाल अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टोरल स्कॉलर के रूप में काम कर रही हैं. सुमेघा का परिवार मूल रूप से फिरोजपुर के पास मुदकी गांव से है, जहां उनके दादा स्थानीय अनाज मंडी में कमीशन एजेंट हुआ करते थे. उनकी मां उर्मिला देवी, जो एक जीवविज्ञान की शिक्षिका हैं. वह बताती थी कि पहले सुमेघा डॉक्टर बनना चाहती थी लेकिन फिर उन्होंने आईआईटी क्रैक करने का फैसला किया. सुमेघा ने हमेशा अपने जीवन में एक ऑलराउंडर के रूप में अपनी पहचान बनाई है. वह एक बेहद प्रतिभाशाली युवती हैं, जो खेलकूद में भी बेहतरीन रही हैं.
लड़कियां किसी भी क्षेत्र में कर सकती है बेहतर परफॉर्म
उनका मानना था कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं और दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे लड़कियां पूरा न कर सकें. सुमेघा कहती थी कि लड़कियों को अपनी क्षमताओं पर भरोसा करना चाहिए और लड़कों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए. इससे न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि यह भी साबित होगा कि पढ़ाई और अन्य क्षेत्रों में लड़कियां अब किसी से पीछे नहीं है.
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FIRST PUBLISHED : December 18, 2024, 16:34 IST