कहते हैं, कभी न कभी झूठ पकड़ा ही जाता है. ऐसे में कभी भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे आगे चलकर पूरा करियर ही तबाह हो जाए. आप चाहें एमबीबीएस करके डॉक्टर बनना चाहते हों या बीटेक करके इंजीनियर. हर हाल में सही दस्तावेजों के साथ ही एडमिशन लें, वरना बाद में डॉक्यूमेंट्स फर्जी पाए जाने पर न केवल आपका दाखिला रद्द हो जाएगा, बल्कि आपको सजा भी होगी और जुर्माना भी लग सकता है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है.
असल में यह मामला है उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का. यहां वर्ष 2018 में अमित कुमार नाम के एक स्टूडेंट ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एमबीबीएस में एडमिशन ले लिया. वह डॉक्टरी की पढ़ाई भी करने लगा. अमित कुमार भदोही के गोपीगंज के इब्राहिमपुर गांव का रहने वाला था. इसी बीच गोपीगंज के विजय बहादुर सिंह ने अमित कुमार की जाति को लेकर शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद इस मामले की जांच शुरू हो गई. जांच में अमित कुमार का फर्जीवाड़ा सामने आ गया और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया.
कैंसिल हो गया एडमिशन
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ने सच्चाई सामने आने के बाद अमित कुमार का एडमिशन रद्द कर दिया. असल में अमित कुमार ने फर्जी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवाकर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया था. उसने अपने प्रमाण पत्र में खुद को खटीक जाति का बताया था. जब इसकी जांच-पड़ताल की गई तो असलियत सामने आई. एफआईआर के बाद कॉलेज ने निष्कासन का एक्शन लिया.
अब हो गई 7 साल की जेल
ऐसा नहीं कि अमित कुमार के निष्कासन के बाद यह मामला थम गया, बल्कि इस संबंध में मुकदमा मुख्य दंडाधिकारी के कोर्ट में चलता रहा. सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि अमित कुमार ने नवोदय विद्यालय में एडमिशन पाने के लिए ओबीसी सर्टिफिकेट बनवाया था और इसी आधार पर नवोदय विद्यालय में एडमिशन लिया था. दोनों मामलों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अमित कुमार को दोषी साबित करते हुए उसे सात साल जेल की सजा सुनाई है. इसके अलावा 11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
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क्या मिलती है सीख
अमित कुमार का यह मामला उन अभ्यर्थियों या स्टूडेंट्स के लिए सबक है जो आगे डॉक्टर, इंजीनियर या आईएएस-आईपीएस बनने का सपना देखते हैं. भूलकर भी ऐसी गलती न करें जिससे आपका पूरा करियर चौपट हो जाए. जो भी दस्तावेज लगाएं, वह सही और सोच-समझकर लगाएं ताकि आगे भविष्य में किसी तरह की कोई दिक्कत न आए.
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FIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 16:49 IST