बेंगलुरू: कर्नाटक सरकार ने विपक्ष के आरोपों के जवाब में गुरुवार को एक बयान में कहा कि नौकरियों में मुस्लिमों के लिए आरक्षण की कोई योजना नहीं है। बता दें कि विपक्ष ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस एक करोड़ रुपए तक की सार्वजनिक कार्य परियोजनाओं में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4% कोटा आवंटित करने की योजना बना रही है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’
4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा, ‘सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मु्स्लिमों को 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था।’
उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।
उन्होंने कहा, ‘आपने इस मामले के संबंध में केटीपीपी अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इन सभी पत्रों और अनुमोदनों के बावजूद, आप झूठ बोल रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि सरकार के समक्ष अनुबंधों में मुस्लिम आरक्षण का कोई प्रस्ताव नहीं है। क्या आपमें सत्यनिष्ठा या नैतिकता की कोई भावना है?’ अशोक ने सीएम पर ठेकों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव को नकार कर जनता को गुमराह करने का भी आरोप लगाया।