वाराणसी : ‘नाथों के नाथ’ बाबा विश्वनाथ के दरबार में अब नई-नई परंपराओं को शुरू किया जा रहा है. शिव के दरबार में अब भगवान विष्णु के पूजा के खास दिनों को भी विशेष महत्व दिया जाएगा. इस बार देव दिवाली के एक दिन पहले पढ़ने वाले बैकुंठ चतुर्दशी पर काशी विश्वनाथ धाम में स्थित भगवान विष्णु के प्राचीन मंदिरों में कई खास आयोजन होंगे. काशी विश्वनाथ मंदिर में अभी से इसकी तैयारी शुरु हो गई है.
काशी विश्वनाथ मंदिर विशिष्ट तीर्थ क्षेत्र के एसडीएम शंभू कुमार ने बताया कि धाम में स्थित सत्यनारायण, बद्रीनारायण, पद्मनाभेश्वर और बैकुंठ मंदिर में 14 नवंबर को पूरे दिन अलग-अलग आयोजन होगा.
बैकुंठ चतुर्दशी को होंगे खास आयोजन
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य मंदिर परिसर के बैकुंठ मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी के दिन विष्णु सहस्त्रार्चन का पाठ होगा. इसके साथ ही राग भोग आरती भी की जाएगी. इसके अलावा सत्यनारायण मंदिर में यजुर्वेद के पुरूष सूक्त का पाठ किया जाएगा. वहीं धाम में स्थित पद्मनाभेश्वर मंदिर में पंचामृत से पूजन के बाद षोडशोपचार विधि से पूजा अर्चना की जाएगी.
बैकुंठ चतुर्दशी की धार्मिक मान्यता
बैकुंठ चतुर्दशी को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इस दिन से भगवान शिव जगत के पालनहार भगवान विष्णु को सृष्टि की जिम्मेदारी सौंपते है. जिम्मेदारी सौंपने के बाद भगवान विष्णु सृष्टि की गतिविधियों में शामिल हो जाते है. कहा जाता है कि इस दिन पूजा आराधना से मनुष्य के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस अलावा इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से बैकुंठ लोक की राह भी आसान हो जाती है. यही वजह है कि इस दिन लोग पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा अराधना करते है.
FIRST PUBLISHED : November 9, 2024, 19:55 IST