कनाडा से परेशान करने वाली खबर आई, खालिस्तान समर्थकों ने मंदिर में घुसकर हिन्दुओं पर हमला किया, हिन्दुओं को बुरी तरह पीटा गया और स्थानीय पुलिस तमाशा देखती रही। हैरानी की बात ये है कि मंदिर में जबरन घुसने वाले खालिस्तान समर्थक थे, लाठी डंडों से बेकसूर हिन्दुओं पर हमला करने वाले खालिस्तानी थे, जो घायल हुए वो हिन्दू हैं लेकिन कनाडा की पुलिस ने उल्टा काम किया। एक्शन हिंदुओं के खिलाफ लिया, पकड़ा हिन्दुओं को गया। खालिस्तानियों को पुलिस ने छोड़ दिया। इससे कनाडा में बसे साढ़े आठ लाख हिन्दू गुस्से में हैं, जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ प्रोटेस्ट करने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। कनाडा में भी ‘बंटोगे , तो कटोगे’ के नारे लगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर पर हुए हमले की निंदा की और कहा, कि हमारे राजनयिकों को डराने की कोशिश की गई, लेकिन इससे भारत का संकल्प कमज़ोर नहीं होगा, कनाडा सरकार सुनिशिचत करे कि कानून का राज कायम रहे और सब को न्याय मिले।
विदेश मंत्रालय ने कनाडा की सरकार से हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और हमला करने वाले खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन की मांग की। कनाडा के कई सांसदों ने माना कि हिन्दुओं पर हो रहे हमले, मंदिरों में घुसकर मारपीट, जस्टिन ट्रूडो की वोट बैंक वाली सियासत का नतीजा है। उन्होंने कहा कि कनाडा में बोलने की आजादी के नाम पर खालिस्तान समर्थकों को हिंसा की इजाजत देना ठीक नहीं है, लेकिन चिंता की बात ये है कि मंदिर पर हुए हमले में खालिस्तानियों की भीड़ में सिविल ड्रेस में कनाडा पुलिस के कुछ अफसर भी शामिल थे। पुलिस खालिस्तानियों को रोकने के बजाय, विरोध कर रहे हिन्दुओं को डराने धमकाने की कोशिश करती नजर आई। सारे वीडियों में इसका सबूत है। कनाडा की सरकार इसे स्थानीय लोगों के बीच झड़प बता रही है। हकीकत ये है कि इस हमले की आशंका पहले से जताई गई थी लेकिन कनाडा की पुलिस, और सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया..
कनाडा के टोरंटो में स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने हिंदू सभा की मदद से ब्रैम्पटन के मंदिर में कॉन्सुलर कैंप लगाया था। इस कैंप में भारतीय राजनयिक भारतीय मूल के पेंशनरों को लाइफ सर्टिफिकेट देने के लिए पहुंचे थे। कैंप लगभग एक हज़ार लोगों की मदद के लिए लगाया गया था। लाइफ सर्टिफिकेट की जरूरत उन बुजुर्गों को होती है, जो पेंशनर्स हैं और रिटायर होने के बाद कनाडा में अपने बच्चों के पास रह रहे हैं। इन बुजुर्गों को पेंशन जारी रखने के लिए हर साल अपना लाइफ सर्टिफिकेट जमा कराना होता है। कैंप लगने की ख़बर मिलते ही खालिस्तान समर्थकों ने मंदिर के बाहर प्रोटेस्ट का एलान कर दिया।ब्रैम्पटन की पुलिस ने खालिस्तानियों को मंदिर के ठीक सामने प्रोटेस्ट करने की इजाज़त भी दे दी. शुरू में सिर्फ नारेबाजी हो रही थी लेकिन जैसे ही कुछ लोग कॉन्सुलर कैंप में लाइफ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए पहुंचे तो लाठी डंडों से लैस खालिस्तानियों ने उन पर हमला बोल दिया।
मंदिर के गेट पर ही उन्होंने हिन्दुओं की पिटाई शुरू कर दी। जब हिंदुओं ने इसका विरोध किया तो खालिस्तानियों की हिंसक भीड़ मार-पीट करते हुए मंदिर में दाख़िल हो गई। मंदिर के भीतर देर तक हंगामा चलता रहा। हिंदुओं ने खालिस्तानी हमलावरों से झंडे छीनने शुरू कर दिए। कुछ लोग भारत का तिरंगा लेकर आ गए। उन्होंने खालिस्तानी हमलावरों को चुनौती दी। खालिस्तानियों की भीड़ हिंदुओं को मंदिर परिसर में घुसकर पीटती रही और पुलिस, केवल हिंदुओं को रोकती रही। वीडियो में जिस शख्स को हाथ में झंड़ा लेकर नारे लगाते हुए देखा गया, वह ब्रैम्पटन इलाक़े की पुलिस फोर्स में सार्जेंट है। उसका नाम हरिंदर सोही है। हरिंदर सोही सिविल ड्रेस में मंदिर पर हमला करने वाले खालिस्तानियों के साथ था। वो खालिस्तान का झंडा लेकर भारत सरकार के खिलाफ नारे लगा रहा था। असल में इस तरह की हमले की आशंका हिन्दू संगठनों को पहले से थी क्योंकि दिवाली से पहले खालिस्तानी उग्रवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने धमकी दी थी कि वो पंजाब में किसी हिंदू को आतिशबाज़ी नहीं करने देगा, पटाखे नहीं चलाने देगा।कनाडा में हिंदुओं पर हमला चिंता की बात है। इसलिए नहीं कि कुछ सिरफिरे खालिस्तानी मंदिर में घुस गए, इसलिए नहीं कि भारत के दुश्मनों ने वहां के हिंदुओं के साथ मारपीट की। चिंता की बात इसलिए है कि ऐसे आतंकवादियों को कनाडा की पुलिस ने संरक्षण दिया।
चिंता की बात इसलिए है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो मजबूर हैं और इस घटना पर लीपा-पोती करने में लगे हैं। कनाडा जैसे देश से ऐसे दोहरे मानदंडों की उम्मीद दुनिया के कम मुल्कों को होगी। पर भारत को अब इस पर हैरानी नहीं होती। पिछले 4 साल से कनाडा खालिस्तान समर्थकों का अड्डा बन गया है। कनाडा इन आतंकवादियों को पनाह देता है। जिन लोगों ने रिकॉर्ड पर कहा है कि भारत में उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं। उन पर भारत में आतंक फैलाने का आरोप है। जिन्होंने माना है कि उनके पास से हथियार बरामद हुए। उन्हें भी कनाडा की सरकार ने अपने यहां शरण दी है, जो लोग डिजिटल मीडिया पर खालिस्तान का समर्थन करते हैं, भारत विरोधी बयान देते हैं। कनाडा की सरकार ने उन्हें अपने यहां मेहमान बनाकर रखा हुआ है।
पिछले साल भारत ने सात गैंगस्टर्स की लिस्ट कनाडा को दी थी लेकिन जस्टिन ट्रूडो ने कुछ नहीं किया। अब कनाडा में हिंदुओं पर हुए हमले ने इस पूरी साजिश को एक्सपोज कर दिया है। अब सारी दुनिया को पता है कि दंगाइयों, गैंगस्टर्स को पनाह देने का क्या अंजाम हुआ, उनकी हिम्मत बढ़ती जा रही है इसीलिए कनाडा में रहने वाले हिंदू गुस्से में हैं। वो मानते हैं कि आज के वक्त खालिस्तान सपोटर्स की मदद करना ट्रूडो की मजबूरी है। उनकी सरकार उन 25 सांसदों के समर्थन पर टिकी है जो खालिस्तान समर्थक हैं। लेकिन अब ये ज्यादा दिन नहीं चलेगा। कनाडा में न सिर्फ हिंदू गुस्से में है, बल्कि बड़ी संख्या में मॉडरेट सिख समाज के लोग भी हिंदुओं पर हुए हमले से नाराज हैं। वे नहीं चाहते कि कनाडा की छवि को नुकसान पहुंचे. इसमें उनकी भी बदनामी है। इसलिए वह दिन दूर नहीं जब जस्टिन ट्रूडो को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा। (रजत शर्मा)
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