डाला (गुड्डू तिवारी/राकेश अग्रहरि)
डाला। श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर फाउंडेशन के 57 वें स्थापना दिवस पर मानस सेवा समिति द्वारा आयोजित नवाह्न पारायण यज्ञ रुद्राभिषेक व पांच दिवसीय मानस प्रवचन के तीसरे दिन मंगलवार को जबलपुर से पधारे आचार्य बृजेश दिक्षित ने श्रीराम जन्म व राम विवाह का बखान किया।कथा सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।मानस प्रवचन प्रारंभ होने के पूर्व मंदिर के मंहत श्री मुरली तिवारी ने भगवान राम की भव्य आरती उतारी।कथावाचक मानस मर्मज्ञ आचार्य श्री दिक्षित ने श्री राम जन्म व राम विवाह के दृश्य का रसपान कराते हुए श्रोताओं को बताया कि पृथ्वी पर जब-जब असुरों का आतंक बढ़ा है तब-तब ईश्वर ने किसी न किसी रूप में अवतार लेकर उनका संहार किया है।जब धरा पर धर्म के स्थान पर अधर्म बढ़ने लगता है तब धर्म की स्थापना के लिए ईश्वर को आना पड़़ता है। भगवान राम ने भी पृथ्वी लोक पर आकर धर्म की स्थापना की।भगवान राम ऋषि संस्कृति से पैदा हुए और माता सीता कृषि संस्कृति से पैदा हुई।सनातन धर्म के बारे में कहा कि सनातन धर्म की कभी हानी नहीं हो सकती सनातन को न मानने वालों को ग्लानि होती है महाराजा दशरथ धार्मिक है इसलिए धर्म की कभी हानी नहीं होती। उन्होंने कहा कि बेटीयों को माता ही नहीं पिता भी समझा सकते हैं।श्री राम सीता विवाह संपन्न होने के बाद राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता को समझाकर बिदा किया। संचालन आचार्य पंडित राजेश मिश्र ने किया।इस दौरान मानस परिवार समिति के अध्यक्ष नीरज पाठक, पवन शर्मा, राजवंश चौबे, ओमप्रकाश तिवारी, इंदु शर्मा, रानी चौबे, सरिता तिवारी, प्रतिमा पाठक, पुष्पा तिवारी, आदि मौजूद रहे।