बहराइच जिले की नगर पंचायत पयागपुर के निर्वाचित चेयरमैन बालेंद्र प्रताप श्रीवास्तव को पद से बर्खास्त कर दिया गया है। नगर पंचायत में विभिन्न टेंडरों व मैन पॉवर आपूर्ति में अनियमितता के आरोप लगे थे। साढ़े आठ माह से अधिक समय से उनके अधिकार भी सीज कर दिए गए थे। नगर विकास सचिव की रिपोर्ट पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पदच्युत करने की संस्तुति कर दी है। इस फैसले ने राजनीतिक गलियारे में ही हड़कंप नहीं मचाया है, बल्कि अवध क्षेत्र के राजनैतिक क्षेत्र में यह पहली कार्रवाई बताई जा रही है।
नगर पंचायत का दर्जा पाने के बाद चार मई 2023 को पहली बार निकाय चुनाव हुए थे। सपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे बालेंद्र प्रताप श्रीवास्तव ने जीत दर्ज की थी। इन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी सत्यवती मिश्रा को 4421 मतों से हराकर पहले चेयरमैन निर्वाचित होने का गौरव हासिल किया था। चेयरमैन निर्वाचित होने के कुछ माह बाद उनकी ओर से चतुर्थश्रेणी की निजी संस्था से नामित करने समेत कई सरकारी टेंडरों में नियमों की अनदेखी कर चहेतों को मुहैया कराने के आरोप लगे। अनियमितता को लेकर क्षेत्रीय विधायक सुभाष त्रिपाठी की ओर से पैरवी की गई। लगातार शासन स्तर पर जांच की गई।
प्रथम दृष्टया आरोप सिद्ध होने पर 28 फरवरी 2024 को चेयरमैन के अधिकारी सीज कर दिए गए। पयागपुर एसडीएम दिनेश कुमार को अध्यक्ष नामित कर दिया गया। शासन के फैसले के खिलाफ व हाईकोर्ट पहुंचे। वहां से भी उनको झटका लगा। खींचातानी में निकाय का पूरी तरह से विकास हिचकोले खा रहा था। क्षेत्रीय विधायक की ओर से शासन पर पूरे मुद्दे को प्रमुखता से रखा गया। इसके बाद नगर विकास सचिव अमृत अभिजात की ओर से विस्तृत रिपोर्ट राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष प्रस्तुत की गई। राज्यपाल ने नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 48 में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए शुक्रवार को नगर पालिका पयागपुर के अध्यक्ष बालेंद्र श्रीवास्तव को पद से बर्खास्त कर दिया। राज्यपाल के इस फैसले से सपा को भी धक्का लगा है, जबकि सियासत एक बार फिर गरम हो गई है।
महज नौ माह ही संभाल पाए अध्यक्ष की कुर्सी
जिले में निकाय चुनाव के लिए चार मई को वोट डाले गए थे। 14 को परिणाम घोषित हुआ था। 26 मई को निर्वाचित अध्यक्ष बालेंद्र श्रीवास्तव ने पद व गोपनीयता की शपथ ली थी। इस तरह महज नौ माह ही वह बतौर नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में कुर्सी संभाल पाए। 28 फरवरी से उनके अधिकार सीज कर दिए गए थे। इसके बाद से ही उनको पद से हटाने को लेकर कयास लगाए जा रहे जो, 17 अक्टूबर को राज्यपाल के फैसले से सच साबित हो गया।
पहली बोर्ड बैठक में 23 टेंडर निरस्त करना बना काल
अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने के बाद पहली बैठक नौ जून को हुई थी। इसी बैठक में उन्होंने आउट सोर्सिंग के माध्यम से सफाई कर्मियों की तैनाती का प्रस्ताव पास किया था तो 23 टेंडरों को निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद क्षेत्रीय विधायक व अध्यक्ष में खींचातानी शुरू हुई थी।
पयागपुर एसडीएम दिनेश कुमार का कहना है कि शासन की ओर से निर्धारित व्यवस्था का वह अनुपालन करेंगे। वर्तमान में भी वह अध्यक्ष पद के दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।
नगर पंचायत पयागपुर प्रभारी ईओ प्रमिता सिंह ने बताया, शासन स्तर से जो निर्णय लिया गया है, उसका पालन सुनिश्चित कराया जाएगा। विधि व्यवस्था के तहत विकास कार्य कराए जाएंगे।