यूपी के बरेली में एक ऐसा भी थाना है। जहां पुलिस का नहीं बल्कि सैना का राज चलता है। दरअसल कैंट थाना, कैंट क्षेत्र में आता है। जिसके कारण अगर पुलिस इस थाने में मरम्मत या निर्माण के नाम पर एक ईंट भी लगाना चाहती है तो उसे कैंट बोर्ड से अनुमति लेनी होती है, जिसके अध्यक्ष सेना के ब्रिगेडियर होते हैं।
बरेली जिले में एक ऐसा थाना भी है, जहां सेना का राज चलता है। जी हां, आपने सही पढ़ा। कैंट थाने में किसी भी तरह के निर्माण कार्य को लेकर यह नियम लागू है। कैंट क्षेत्र में होने के कारण अगर पुलिस इस थाने में मरम्मत या निर्माण के नाम पर एक ईंट भी लगाना चाहती है तो उसे कैंट बोर्ड से अनुमति लेनी होती है, जिसके अध्यक्ष सेना के ब्रिगेडियर होते हैं।
कैंट थाना सैन्य क्षेत्र में स्थित है, जिसके चलते यहां की देखरेख की जिम्मेदारी छावनी परिषद (कैंट बोर्ड) की है। ऐसे में इस क्षेत्र में कोई भी निर्माण कार्य करने के लिए कैंट बोर्ड की अनुमति लेनी होती है। यह नियम सिविलियन के साथ ही पुलिस पर भी लागू होता है। इस कारण कैंट पुलिस को काफी परेशान होना पड़ता है। कई साल पुराना होने के कारण कैंट थाने का भवन जर्जर हो चुका है। वहां तत्काल नये भवन या मरम्मत की जरूरत है। मगर, कैंट बोर्ड की अनुमति न होने के कारण पुलिस ऐसा नहीं कर पा रही है। पुलिस के मुताबिक, अगर उन्हें थाने में एक नई ईंट भी लगानी होती है या कोई मरम्मत करनी होती तो इसके लिए कैंट बोर्ड की अनुमति लेनी पड़ती है। कैंट बोर्ड के पदेन अध्यक्ष सेना के ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी होते हैं। उनकी अनुमति मिलने में लंबा वक्त लगता है।
टॉयलेट बनाने को भी बेलने पड़े थे पापड़
करीब दो साल पहले कैंट थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर ने परिसर में ही स्थित अपने आवास में बने टॉयलेट और किचन की मरम्मत का विचार बनाया था। तब उन्हें इस कानून के बारे में जानकारी दी गई। इसके बाद उन्होंने कैंट बोर्ड से बात की तो तमाम अड़चनें सामने आ गईं। कड़ी मशक्कत के बाद बमुश्किल उनके टॉयलेट की मरम्मत हो सकी। यही वजह है कि यहां के पुलिसकर्मी जर्जर बिल्डिंग में रहने और काम करने के लिए मजबूर हैं।