जालौर: राजस्थान के जालौर की हरी-भरी नर्सरी में एक अनोखा पौधा है जिसे पत्थरचट्टा कहा जाता है. यह पौधा सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि अपने अद्भुत औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है. पत्थरचट्टा को ब्रायोफिलम के नाम से भी जाना जाता है. यह किडनी की पथरी के इलाज में बेहद प्रभावी माना गया है.
अनमोल औषधीय पौधा
इस पौधे की पत्तियों में मौजूद विशेष तत्व शरीर में मौजूद किडनी स्टोन को धीरे-धीरे गलाने और बाहर निकालने की क्षमता रखते हैं. जालौर की नर्सरी में विशेषज्ञ भारत सिंह राजपुरोहित ने लोकल 18 को बताया कि वह इसे किडनी के रोगियों के लिए एक वरदान मानते हैं. हर सुबह ताजा पत्थरचट्टा की 2-3 पत्तियों का रस निकालकर पानी में मिलाकर पीना पथरी के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी होता है. यह प्राकृतिक उपचार न केवल पथरी के आकार को कम करता है, बल्कि किडनी के स्वास्थ्य को भी सुधारता है.
जालौर की नर्सरी में विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि लोग इस पौधे के लाभों के बारे में जागरूक हों. नर्सरी के विशेषज्ञ भारत सिंह राजपुरोहित ने बताया कि पत्थरचट्टा को घर में उगाना बेहद आसान है. इसे किसी भी गमले में रोपित किया जा सकता है और यह कम देखभाल में भी तेजी से बढ़ता है. इसके अलावा यह पौधा घर में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ाता है, जिससे आपके वातावरण में ताजगी बनी रहती है.
इस प्रकार जालौर की नर्सरी में पत्थरचट्टा केवल एक पौधा नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक उपचार का स्त्रोत है. इसे अपनाकर न केवल किडनी की समस्याओं से निजात पाई जा सकती है, बल्कि यह आपकी जीवनशैली में एक स्वस्थ बदलाव भी लाता है.
FIRST PUBLISHED : October 9, 2024, 22:22 IST