हाईकोर्ट ने वन विभाग से दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के वेतन मामले में कमेटी गठन की जानकारी नहीं देने पर प्रमुख सचिव वन से तीन सप्ताह में व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि क्यों न सात दिसंबर 2023 के आदेश का पालन न करने के दोषी अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जाए।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वनकर्मियों को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने वन विभाग से दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के वेतन मामले में कमेटी गठन की जानकारी नहीं देने पर प्रमुख सचिव वन से तीन सप्ताह में व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि क्यों न सात दिसंबर 2023 के आदेश का पालन न करने के दोषी अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने वन विभाग गोरखपुर में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी विजय कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव को सुनकर दिया है।
अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव का कहना था कि सरकार जानबूझकर आदेश का पालन नहीं कर रही है। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं, जिनकी अवहेलना की जा रही है। कोर्ट ने सात दिसंबर 2023 के आदेश से राज्य सरकार को अपर मुख्य सचिव वन विभाग की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर 30 दिन में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए निष्पक्ष व पारदर्शी निति तैयार करने का निर्देश दिया था।
सरकार की ओर से कोर्ट को आश्वस्त किया गया कि सरकार नीति तैयार करेगी और हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा गया। डिवीजनल फॉरेस्ट अफसर गोरखपुर विकास यादव ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि विभिन्न विभागों में 10 से 20 वर्षों या अधिक समय से कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए नीति तैयार करने में समय लगेगा। तब तक 24 सितंबर को गाइडलाइंस जारी की गई है। जिसके तहत नौ नवंबर 2023 को पिछले दस वर्ष से कार्यरत कर्मचारियों को 18000 रुपये प्रतिमाह दिए जाने का आदेश जारी किया गया है। बताया कि ऐसे कुल 3209 दैनिक कर्मचारी कार्यरत हैं। निर्देश दिया गया कि सभी के साथ समान व्यवहार किया जाए। किसी के साथ पक्षपात न हो।
कोर्ट ने कहा कि दस वर्ष से कम अवधि से कार्यरत कर्मचारियों के लिए कुछ नहीं बताया गया जबकि कोर्ट ने कमेटी गठित कर एक माह में रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद तीन सप्ताह लिए गए लेकिन कमेटी के गठन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। यह कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। सात दिसंबर 2023 के आदेश का पालन नहीं किया गया। इस पर प्रमुख सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।