How America Dominates the Olympics: अमेरिका ने पेरिस ओलंपिक खेलों की पदक तालिका में एक बार फिर अपना दबदबा बनाया. अमेरिकी एथलीटों ने कई करीबी कॉलों और विवादास्पद फैसलों के बावजूद 40 गोल्ड मेडल सहित कुल 126 पदक जीते. जबकि एक अमेरिकी एथलीट से ब्रॉन्ज मेडल छीन लिया गया. चीन ने भी 40 गोल्ड मेडल जीते, लेकिन वो कुल 91 पदकों के साथ दूसरे नंबर पर रहा. ग्रेट ब्रिटेन 65 पदकों के साथ तीसरा स्थान हासिल करने में सफल रहा. मेजबान फ्रांस ने 64 पदकों के साथ चौथा स्थान हासिल किया.
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि अमेरिका ने पेरिस ओलंपिक में अन्य सभी देशों से बेहतर प्रदर्शन किया. यह लगातार आठवें ओलंपिक खेल हैं, जहां अमेरिकी टीम ने सबसे ज्यादा पदक जीते हैं. अमेरिका ने अपना सबसे बड़ा दल पेरिस भेजा था. उसके 637 एथलीटों ने ओलंपिक की विभिन्न स्पर्धाओं में भाग लिया. जबकि दूसरे स्थान पर रहे चीन ने तुलनात्मक रूप से छोटा दल भेजा था. चीन के केवल 388 एथलीटों ने पेरिस में हिस्सा लिया. जबकि मेजबान फ्रांस के दल में 596 और ऑस्ट्रेलिया के दल में 477 एथलीट थे.
पदक प्रतिष्ठा और सम्मान का प्रतीक
ओलंपिक में भाग लेने वाले देशों के लिए पदकों की संख्या ही प्रतिष्ठा और सम्मान का प्रतीक है. कुछ देश गोल्ड मेडल देखकर आकलन करते हैं कि कौन शीर्ष पर रहा. कुछ लोग जीते गए पदकों की कुल संख्या को श्रेष्ठता का आधार बनाते हैं. लेकिन कई बार इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप इसे किस नजरिये से देखते हैं. क्योंकि अमेरिका अक्सर दोनों श्रेणियों में टॉप पर रहता है. ओलंपिक इतिहास में पहली बार, खेलों के अंत में गोल्ड मेडल की गिनती बराबर रही. अमेरिका और चीन दोनों ने पेरिस खेलों को 40 गोल्ड मेडल के साथ समाप्त किया. यह बात दोनों देशों के प्रभुत्व का संकेत है. इन दोनों के बीच ही खेल जगत में टॉप पर रहने के लिए टक्कर होती है.
ये भी पढ़ें- जहां सुशील ने सीखे थे दांव पेच… उसी अखाड़े के अमन ने पेरिस में बढ़ाया देश मान, नाम जुड़ा यह खास रिकॉर्ड
खेल से प्यार करते हैं अमेरिकी
यह कोई रहस्य नहीं है कि अमेरिकी अपने खेल से प्यार करते हैं. 2022 तक, अमेरिका में खेल बाजार का मूल्य लगभग 80.5 बिलियन डॉलर है. यह यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका की सभी प्रमुख लीगों की तुलना में 50% अधिक है. वहां खेल आयोजनों का मीडिया कवरेज व्यापक और निरंतर होता है, जिसमें महान खिलाड़ियों को रातों-रात ऑल-स्टार बनाने की क्षमता होती है. यह बताने की जरूरत नहीं है कि अमेरिकी कॉलेज प्रणाली अमेरिकी खेल संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है.
कॉलेज कोचिंग का गहरा असर
1980 के दशक में ग्रेट ब्रिटेन के दो बार के ओलंपिक चैंपियन और इंटरनेशनल एथलेटिक्स फेडरेशन के प्रमुख सेबेस्टियन को ओलंपिक ट्रैक प्रतियोगिता के दौरान अमेरिकी टीम की शक्ति, गहराई और स्पीड से चकित रह गए. लेकिन यह सब कैसे संभव हुआ. पेरिस की पदक तालिका देश की अच्छी कॉलेज कोचिंग प्रणाली का एक सशक्त उदाहरण है. सेबेस्टियन को ने कहा, “ अमेरिका में मिलने वाली कोचिंग का स्तर बहुत ऊंचा है. उनकी ट्रैक एंड फील्ड टीम पर कॉलेज कोचिंग प्रणाली का बहुत प्रभाव है.” यह बात उस शख्स ने कही है जो इस खेल को किसी भी अन्य व्यक्ति के मुकाबले अच्छी तरह से जानता है.
ये भी पढ़ें- Explainer: बांग्लादेश में कुल कितने द्वीप? संख्या जान हैरान रह जाएंगे, कौन है सबसे बड़ा आइलैंड
चलते हैं ओलंपिक खेल कार्यक्रम
अमेरिकी ओलंपिक अधिकारी जानते हैं कि कॉलेज कोचिंग प्रणाली उनके लिए सोने का अंडा देने वालाी मुर्गी है. इसके जरिये वे हर साल हजारों छात्रों को प्रशिक्षित करते हैं और इससे विजेता खिलाड़ी निकलते हैं. लेकिन यह व्यवस्था तभी तक कारगर है, जब तक बजट को लेकर सचेत प्रशासक इसके पक्ष में हैं. अगर वे एथलीट्स, पहलवानों और जिम्नास्टों को संपत्ति की बजाय संसाधनों की बर्बादी मानने लग जाएं तो क्या होगा? अमेरिका ने भले ही पेरिस में ओवरऑल मेडल टैली में अपना दबदबा बनाए रखा, लेकिन उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि गोल्ड मेडल जीतने के मामले में चीन उसकी गर्दन पर दबाव डाल रहा है. थोड़ी सी ढील उसकी बढ़त को पीछे धकेल सकती है. अमेरिकी ओलंपिक और पैरालंपिक समिति के मुख्य कार्यकारी रॉकी हैरिस ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि प्रशासन ओलंपिक खेल कार्यक्रमों में बड़े पैमाने पर कटौती करने का इच्छुक नहीं हैं, लेकिन भविष्य में ऐसा हो सकता है.”
दूसरे देशों के चैंपियन भी होते हैं अमेरिका में तैयार
अमेरिका में खिलाड़ियों के प्रशिक्षण का एक पहलू यह भी है कि वहां पर अन्य देशों के शीर्ष खिलाड़ी भी आते हैं. इसका ताजा उदाहरण फ्रांस के 22 वर्षीय तैराक लियोन मारचंद हैं. पेरिस ओलंपिक में चार गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले लियोन ने अपने पिछले तीन साल एक अमेरिकी कॉलेज में प्रशिक्षण में बिताए हैं. उनके अलावा सेंट लूसिया की जूलियन अल्फ्रेड 100 मीटर दौड़ जीतकर दुनिया की सबसे तेज महिला एथलीट बन गईं. उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय में पढ़ाई की है. स्कॉटलैंड के जोश केर ने 1,500 मीटर में रजत पदक जीता. जोश केर न्यू मेक्सिको विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान उसके लिए भी दौड़ चुके हैं. यानी पेरिस में ऐसे खिलाड़ी भी थे जिन्होंने बारीकियां तो अमेरिका में सीखीं, लेकिन उनकी जीत का जश्न किसी और देश में मनाया गया.
Tags: 2024 paris olympics, America News, Olympic gold, Olympic Medalist, Paris olympics, Paris olympics 2024
FIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 19:18 IST