लखीमपुर के दक्षिण खीरी के महेशपुर में करीब महीने भर से चल रहे ऑपरेशन टाइगर के दौरान वन विभाग को सफलता हाथ आते-आते रह गई। बाघ सामने से निकल गया। उस पर डॉट चलाई गई, लेकिन उसे लगी नहीं। थर्मल ड्रोन से निगरानी की बारी आई तो उसकी बैट्री चली गई। शुक्रवार की शाम को एक बार फिर वन विभाग ने बाघ को घेरा। नगर पालिका से हाइड्रोलिक भी मंगवाया गया, लेकिन बाघ ओझल हो गया। रात होने तक अधिकारी और इंस्पेक्टर हैदराबाद मौके पर डटे रहे।
इमलिया और मूड़ा अस्सी में दो लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद वन मंत्री के आदेश पर इमलिया इलाके के बाघ को पकड़े जाने का आदेश जारी हुआ था। तब वन विभाग की टीम ने तमाम प्रयास किए,पर बाघ तक नहीं पहुंच पाए। बताया गया कि बड़ा हो चुका गन्ना ऑपरेशन में बाधा बन रहा है। फिर गोरखपुर समेत कई जगह से बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए डॉक्टर बुलाए गए जो पिछले 15 दिनों से बाघ की तलाश में खेतों की खाक छान रहे हैं,पर टीम को बाघ नहीं दिखा। वन विभाग ने बाघ की तलाश के लिए दुधवा टाइगर रिजर्व से हाथी मंगवाए।
मजेदार बात तो यह है कि गुरुवार की शाम टीम को अजान के पास एक खेत से निकलकर दूसरे खेत में जाते हुए बाघ दिखा। टीम तैयार हुई उसे ट्रेंकुलाइज करने की कोशिश की गई। डॉट मारा गया,पर तब तक बाघ गन्ने में चला गया। इसके बाद थर्मल ड्रोन कैमरे से बाघ की तलाश शुरू की गई,लेकिन उसकी बैट्री डाउन हो गई। शुक्रवार को भी वन विभाग बारिश के बाद भी अभियान में लगा रहा। गोला नगर पालिका से हाइड्रोलिक मंगवाया गया। उस पर चढ़कर ड्रोन से बाघ की तलाश हुई। सूत्र बताते हैं कि शाम को बाघ को लोकेट करने की कोशिश हुई पर प्रयास सफल नहीं हो सका।
बाघ प्रभावित क्षेत्र के किसानों को पहले जारी होंगी गन्ना पर्ची
जिले के कई क्षेत्र बाघ प्रभावित हैं। बाघ गन्ना के खेतों में डेरा डाले हैं। महेशपुर इलाके में एक गन्ना के खेत में बाघ की लोकेशन की तलाश में वनविभाग की टीम लगी है। बाघों के खेतों में रहने से किसान परेशान हैं। खेतों की ओर नहीं जा रहे हैं। हर समय खतरा बना रहता है। इसको देखते हुए गन्ना राज्य मंत्री डॉ. अरुण सक्सेना ने बाघ प्रभावित क्षेत्र के किसानों का गन्ना पहले कटवाने का निर्देश दिया है। इसके लिए इन किसानों को पहले पर्ची जारी की जाएंगी। सर्वे शुरू हो गया है। इन दिनों महेशपुर (मोहम्मदी) गोला और मैलानी वन रेंज में बाघ देखे जा रहे हैं।