तिरुपति के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी के कथित इस्तेमाल का विवाद गहराता जा रहा है और इसे लेकर राजनीति भी तेज है। अब लड्डू विवाद ने भले ही राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया हो, लेकिन इससे श्री वेंकटेश्वर मंदिर में इस बेशकीमती प्रसाद की बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा है। बता दें कि इस मंदिर में प्रतिदिन 60,000 से अधिक तीर्थयात्री आते हैं। मंदिर प्रशासन के मुताबिक, इस विवाद के बीच पिछले चार दिनों में ही 14 लाख से ज्यादा तिरुपति लड्डू बेचे गए हैं। 19 सितंबर को कुल 3.59 लाख, 20 सितंबर को 3.17 लाख, 21 सितंबर को 3.67 लाख और 22 सितंबर को 3.60 लाख लड्डू बेचे गए। बिक्री के आंकड़े उनके प्रतिदिन 3.50 लाख लड्डुओं के औसत से मेल खाते हैं।
कैसे बनता है लड्डू
एनडीटीवी की खबरों के मुताबिक, भक्तों ने बताया कि, ”हमारा विश्वास इतना मजबूत है कि उसे हिलाया नहीं जा सकता।.” कई भक्तों ने यह भी कहा कि तिरुपति के लड्डुओं पर विवाद अब ”अतीत की बात” है। मंदिर में हर दिन 3 लाख से ज्यादा लड्डू बनाए जाते हैं। अक्सर दोस्तों और रिश्तेदारों को देने के लिए मंदिर में आने वाले तीर्थयात्री इन्हें बड़ी संख्या में खरीदते हैं। तिरुपति लड्डू की सामग्री में बंगाल चना का बेसन, गाय का घी, चीनी, काजू, किशमिश और बादाम शामिल हैं। लड्डू बनाने में रोजाना 15,000 किलो गाय का घी इस्तेमाल होता है।
कब बिके कितने लड्डू
19 सितंबर 2024 को बिके थे 3.59 लाख लड्डू
20 सितंबर 2024 को बिके थे 3.17 लाख लड्डू
21 सितंबर 2024 को बिके थे 3.67 लाख लड्डू
22 सितंबर 2024 को बिके थे कुल 3.60 लाख लड्डू
आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा यह आरोप लगाए जाने के बाद कि पिछले वाईएसआरसीपी शासन के दौरान तिरुपति के लड्डू तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी होती है, तिरुपति मंदिर एक बड़े विवाद के केंद्र में है। राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया है। पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी, जिनकी पार्टी इस साल राज्य चुनाव में हार गई थी, ने सत्तारूढ़ टीडीपी पर “धार्मिक मामलों का राजनीतिकरण” करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि नायडू एक “विकृत और आदतन झूठे” हैं। लड्डू के लिए प्रयोग किए जाने वाले घी की निविदा प्रक्रिया हर छह महीने में होती है, और योग्यता मानदंड दशकों से नहीं बदले हैं। आपूर्तिकर्ताओं को एक एनएबीएल प्रमाणपत्र और एक उत्पाद गुणवत्ता प्रमाणपत्र प्रदान करना होगा। टीटीडी घी के नमूने एकत्र करता है, और केवल प्रमाणीकरण पास करने वाले उत्पादों का उपयोग किया जाता है। टीडीपी धार्मिक मामलों का राजनीतिकरण कर रहे हैं।”