बरेली जिले के केंद्रीय कारागार द्वितीय में इन दिनों 155 कैदी विभिन्न प्रकार की शिक्षा हासिल कर रहे हैं। अपराध करने वाले हाथों ने सिर्फ खुद कलम थामी बल्कि दूसरों के जीवन में भी शिक्षा का उजियारा कर रहे हैं। जेल प्रशासन इन कैदियों को प्रेरित कर रहा है। केंद्रीय कारागार द्वितीय में इस समय करीब ढाई हजार कैदी और बंदी सजा काट रहे हैं। इनमें से 155 बंदी और कैदियों ने पढ़ाई शुरू की है। ये लोग स्नातक से लेकर अक्षर ज्ञान तक सीख रहे हैं। खास बात ये है कि इन्हें शिक्षित करने की जिम्मेदारी भी वहां के कैदी और बंदियों ने ही उठाई है। जेल में पढ़ाई करने वाले 93 कैदी और बंदी निरक्षर हैं, जिन्होंने अक्षर ज्ञान सीखने की शुरुआत की है। जेल के स्कूल में दो पालियों में इनकी पढ़ाई कराई जा रही है।
नरसंहार की खलनायिका बनी शिक्षिका
जेल में पढ़ाई की ये जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा विभाग के एक शिक्षक के साथ वहां के बंदी-कैदी संभाल रहे हैं। इनमें अपने ही परिवार के कई लोगों की हत्या करने वाली बावनखेड़ी नरसंहार की खलनायिका रही शबनम भी शामिल है। वह महिला बंदियों के छोटे बच्चों को पढ़ाती है।
दो बंदी दे रहे कंप्यूटर शिक्षा
वरिष्ठ जेल अधीक्षक विपिन मिश्र ने बताया कि जेल में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में कैदी और बंदी अहम योगदान दे रहे हैं। दो कैदी कंप्यूटर शिक्षा दे रहे हैं और पांच कैदी सामान्य पढ़ाई करा रहे हैं।