हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पीएफआई के कथित सक्रिय सदस्य कमाल केपी की डिफॉल्ट जमानत मंजूर कर ली है। एनआईए तय समय 90 दिन के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकी। न्यायालय ने अभियुक्त की अर्जी खारिज करने वाली एनआईए विशेष कोर्ट को नसीहत देते हुए कहा कि वह भविष्य में ऐसे मामलों में जहां महत्वपूर्ण अधिकारों के प्रश्न हों, इस प्रकार का रुख न अपनाए।
यह निर्णय न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति मो. फैज आलम खान की खंडपीठ ने कमाल केपी की अपील को मंजूर करते हुए पारित किया। अभियुक्त पर हाथरस में पिछले वर्ष दंगा भड़काने के प्रयास का आरोप है। मामले के एक अन्य अभियुक्त सिद्दीक कप्पन की गिरफ्तारी के बाद मिले साक्ष्यों के आधार पर कमाल केपी को केरल के मल्लापुरम जिले से गिरफ्तार किया गया था।
अभियुक्त की ओर से दलील थी कि मामले में उसकी गिरफ्तारी 3 मार्च 2023 को हुई थी, इस अनुसार 2 जून 2023 को उसकी गिरफ्तारी के 90 दिन पूरे हो गए। कहा गया की 90 दिन पूरे होने के बावजूद अभियुक्त के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल न होने पर उसने डिफॉल्ट जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया परंतु उसके प्रार्थना पत्र को विशेष अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया। वही अपील का विरोध करते हुए सरकारी अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि 1 जून 2023 को ही विवेचना के लिए और समय मांगे जाने का प्रार्थना पत्र विशेष अदालत के समक्ष दाखिल कर दिया गया था व विशेष अदालत से मंजूरी मिलने के पश्चात 180 दिन के पूर्ण होने से काफी पहले 30 जुलाई 2023 को मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि विवेचना के लिए और समय देने का आदेश 5 जून 2023 को विशेष अदालत ने दिया। न्यायालय ने कहा कि विवेचना का समय विस्तृत करने का उक्त आदेश 2 जून या उसके पहले नहीं दिया गया, लिहाजा अभियुक्त डिफॉल्ट बेल का हकदार था। इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने अभियुक्त को डिफॉल्ट बल पर रिहा करने का आदेश दिया।