उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को मुस्लिम पूजा स्थल कहे जाने पर आपत्ति व्यक्त की और कहा कि यह मस्जिद नहीं, ‘भगवान शिव का मंदिर’ है। यूपी के गोरखपुर में एक कार्यक्रम में एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “दुर्भाग्य से, लोग इसे ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं, लेकिन यह वास्तव में स्वयं ‘विश्वनाथ’ (भगवान शिव) हैं।” योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि साइट पर आने वाले भक्तों को इस बात का अफसोस है कि इसकी असली पहचान या नाम पर यह भ्रम न केवल साइट पर पूजा और प्रार्थना करने के रास्ते में बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए भी सबसे बड़ी बाधा है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर हमारे समाज ने पहले कभी इस बाधा को समझा और पहचाना होता, तो हमारा देश में कभी उपनिवेश नहीं होता।”
कांग्रेस ने कसा तंज-योगी के पास कुछ कहने को है नहीं
सीएम योगी के बयान पर कांग्रेस नेता दानिश अली ने कहा, “…भाजपा के पास और योगी आदित्यनाथ के पास जनता को बताने के लिए कुछ रहा नहीं है। 2024 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में दुर्गति हुई और जो उपचुनाव होने वाले हैं, उससे डर कर इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं… जनता ने मुहर लगा दी है कि ‘काठ की हंडिया बार-बार नहीं चलती’… ये मिली-जुली संस्कृति का देश है। इसलिए मेरा भारत महान है कि यहां पर अलग-अलग धर्म और जात के लोग हैं…”
योगी का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है-रजवी बरेलवी
सीएम योगी के इस बयान पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद एक ऐतिहासिक मस्जिद है, उसकी तारीख कई सौ साल पुरानी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने जो बयान दिया है कि ज्ञानवापी को मस्जिद कहना दुर्भाग्यपूर्ण है यह विश्वनाथ मंदिर है, उनका यह बयान उनकी जुबान से शोभा नहीं देता है। इसलिए कि वो एक जिम्मेदार कुर्सी पर बैठे हुए हैं, वो हर एक व्यक्ति के मुख्यमंत्री है चाहे किसी ने वोट दिया या नही दिया।
मौलाना ने मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि कानून व्यवस्था के मामले मे उन्होंने बेहतर कदम उठाए हैं, राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी बनती है कि वो हर एक व्यक्ति के लिए काम करे और कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखे, ताकि राज्य में रहने वाले लोग अमन व शांति के साथ अपनी रोजाना की जिंदगी गुजार सके। ज्ञानवापी मस्जिद का मामला न्यायलयों के अधीन विचाराधीन है, ऐसी परिस्थितियों में मुख्यमंत्री के इस बयान से कानून की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है, इसलिए मुख्यमंत्री को चाहिए धार्मिक बयानों से परहेज़ करें।