भाद्रपद माह का अंतिम प्रदोष व्रत 15 सितंबर रविवार के दिन है. यह रवि प्रदोष व्रत है. सितंबर महीने का यह पहला प्रदोष व्रत है. हर माह में दो बार प्रदोष व्रत आता है, एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष में. रवि प्रदोष व्रत के दिन सुकर्मा योग और धनिष्ठा नक्षत्र है. रवि प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त शाम को 6 बजकर 26 मिनट से है. शिव पूजा के समय आपको रवि प्रदोष व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए. इससे व्रत पूर्ण होगा और फल भी प्राप्त होगा. इस व्रत को करने से व्यक्ति निरोगी रहता है और उसकी उम्र बढ़ती है. जीवन में सुख और समृद्धि आती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं रवि प्रदोष व्रत कथा के बारे में.
रवि प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त
भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 15 सितंबर, शाम 6:12 बजे से
भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी तिथि का समापन: 16 सितंबर, दोपहर 3:10 बजे पर
रवि प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त: शाम 6:26 बजे से रात 8:46 बजे तक
सुकर्मा योग: दोपहर 03:14 बजे से शुरू
धनिष्ठा नक्षत्र: शाम 06:49 बजे से प्रारंभ
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रवि प्रदोष व्रत कथा
व्रत कथा के अनुसार, एक गांव में ब्राह्मण परिवार रहता था, जो काफी गरीब था. ब्राह्मण की पत्नी हमेशा विधि विधान से प्रदोष व्रत रखती थी और भगवान शिव की पूजा करती थी. एक दिन की बात है, उसका बेटा अपने गांव से कहीं दूसरी जगह जा रहा था. कुछ समय चलने के बाद ही एक जगह पर कुछ चारों ने उसे घेर लिया और उसका सामान छीन लिया.
चोरों ने उससे कहा कि तुम्हारे घर का गुप्त धन कहां पर रखा है. इस बारे में बताओ. उस लड़के ने कहा कि उसकी पोटली में रोटी है, जो तुमने ले ली. इस रोटी के अलावा उसके पास कुछ नहीं है. उसका परिवार काफी गरीब है और कोई गुप्त धन नहीं है. लड़के से पूछताछ करने के बाद चोरों ने उसे छोड़ दिया और वहां से चले गए.
वह लड़का वहां से आगे एक नगर में चला गया. वहां पर वह एक बरगद के पेड़ के नीचे ही छाए में सो गया. उसी बीच वहां पर राजा के कुछ सिपाही आए, जो किसी चोर को खोज रहे थे. वे उस लड़के को चोर समझकर पकड़ ले गए और जेल में बंद कर दिया. दिन ढलने के बाद वह लड़का घर नहीं पहुंचा तो उसके परिवारवाले परेशान हो गए.
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उस दिन प्रदोष व्रत था. उसकी मां अपने बेटे के लिए परेशान थी. उसने भगवान शिव से अपने पुत्र की सुरक्षा के लिए प्रार्थना की. माता की प्रार्थना को भगवान शिव ने सुन लिया. उस रात राजा के सपने में भगवान शिव प्रकट हुए. उन्होंने राजा से कहा कि उसकी जेल में जो लड़का बंद है, वह चोर नहीं है, वह एक निर्दोष है. उसे तुम मुक्त कर दो. यदि ऐसा नहीं किया तो तुम्हारा सबकुछ खत्म हो जाएगा.
अगले दिन राजा ने उस लड़के को जेल से आजाद करने का आदेश दिया. उस लड़के को राजा के सामने लाया गया तो उसने सारी बात बताई. उस दरबार में लड़के के माता-पिता भी आए थे. राजा ने उनको उनका बेटा सौंप दिया और 5 गांव जीवनयापन के लिए दान कर दिया. भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से ब्राह्मण परिवार सुख से रहने लगा.
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FIRST PUBLISHED : September 14, 2024, 13:49 IST