समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के द्वारा ‘मठाधीशों और माफियाओं’ को लेकर दिए गए हालिया बयान ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। भाजपा नेताओं ने इसे सीधा सनातन धर्म के अपमान से जोड़ दिया है। अखिलेश यादव ने कहा था कि हिंदू संतों और माफियाओं में कोई अंतर नहीं है। उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा है कि वोट के लिए सनातन धर्म का अपमान इंडिया गठबंधन का एजेंडा है।
उन्होंने कहा, ”डीएमके द्वारा सनातन को गाली देने, कांग्रेस द्वारा हिंदुओं को हिंसक बताने के बाद अब रामभक्तों की हत्या करने वाली समाजवादी पार्टी कह रही है कि मठाधीश माफिया जैसे हैं! क्या वे अन्य धर्मों के बारे में ऐसा कह सकते हैं? इंडिया गठबंधन का एक ही एजेंडा है- हिंदू आस्था को दो गाली, वोट बैंक की मिलेगी ताली।’
अखिलेश यादव ने संतों को लेकर क्या कहा?
सुल्तानपुर में मंगेश यादव के हालिया एनकाउंटर पर लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा, “ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो यह न जानता हो कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में फर्जी एनकाउंटर हो रहे हैं, हत्याएं हो रही हैं। भाजपा ने इतने फर्जी एनकाउंटर किए हैं कि उसने उत्तर प्रदेश को फर्जी एनकाउंटर की राजधानी बना दिया है। मठवासियों और माफियाओं में ज्यादा फर्क नहीं होता।”
न्यूज-18 की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके इस बयान पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि समाजवादी पार्टी राज्य में माफियाओं को संरक्षण देने का काम करती है। उन्होंने कहा, “उन्हें मठ, मंदिर और मस्जिद में फर्क नहीं पता। जब भी समाजवादी पार्टी सत्ता में आती है, माफियाओं को संरक्षण देने का काम करती है। ये वे लोग हैं जो माफिया की मजार पर नमाज पढ़ते हैं।”
योगी कैबिनेट में शामिल राज्य मंत्री संजय निषाद ने भी हमला बोला है। उन्होंने कहा, “माफियाओं की कब्र पर जाने वाले लोग इस तरह के बयान देकर सनातन का अपमान कर रहे हैं। पुलिस और न्यायपालिका का राजनीतिकरण करना उचित नहीं है। समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान पुलिस ने अखिलेश निषाद की भी हत्या की थी।”
वहीं श्री पंचायती अखाड़ा उदासीन निर्वाण के महंत दुर्गा दास ने भी उनकी आलोचना की है। उन्होंने कहा, ‘सभी संत मठ के प्रमुख होते हैं, सभी का अपना आसन होता है। सनातन धर्म में मठ के प्रमुख की तुलना भगवान से की जाती है। मठ के प्रमुख को माफिया से जोड़ना ओछेपन की निशानी है।’