एक क्लास में संग-संग पढ़ते हुए दोनों में प्यार हो गया। शादी कर ली। दो बेटे हो गए। पति ने पत्नी को बीएड की पढ़ाई करवाई। सात साल बाद पत्नी को सरकारी स्कूल में शिक्षिका की नौकरी मिल गई तो उसने पति को ही छोड़ दिया। छोटा बेटा लेकर चली गई। पति से न खुद मिलती थी न बेटे को मिलने देती थी। पति ने जब भी मिलने की कोशिश की, बेरोजगारी का ताना देकर उसे भगा दिया। अंतत पति ने तलाक का केस कोर्ट में दाखिल किया, तारीखें लगती रहीं, वह सुनवाई में कभी पहुंची ही नहीं। अंतत कोर्ट ने एकतरफा तलाक का आदेश दे दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वैवाहिक संबंधों का पालन न करके वादी को अपमानित करना, छोटे बेटे से न मिलने देना, अकारण पति का परित्याग करना प्रताड़ना और क्रूरता है।
युवक के वकील अनूप शुक्ला ने बताया कि बर्रा विश्व बैंक कॉलोनी निवासी युवक ने 2008 में सर्वोदय नगर की रहने वाली युवती से प्रेम विवाह किया था। दोनों विश्व विद्यालय में साथ ही पढ़ाई करते थे। शादी के बाद 2009-10 में पति ने ही पत्नी को प्रेरित कर बीएड की पढ़ाई कराई। इधर उसकी पढ़ाई पूरी हुई, उधर पति की मां बीमार हो गई। ऐसे में पत्नी एक दिन अचानक मायके चली गई। बीमार सास का ख्याल नहीं किया। 2012 में पति-पत्नी घर छोड़कर अलग रहने लगे।
पति को बेरोजगार होने का ताना दे भगा दिया
2015 में पत्नी की इटावा के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका की नौकरी मिल गई। पत्नी छोटे बेटे को लेकर अकेली वहीं रहने लगी। पति जब भी उसके पास गया, उसे बेरोजगार होने का ताना देकर भगा दिया। कई कोशिशों के बाद भी जब वह नहीं लौटी तो पति ने तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दी थी। जिसमें यह भी आरोप लगाया कि पत्नी ने अपने पिता और भाई के साथ मिलकर उसे मारापीटा, गाली-गलौज की। जबरन बड़े बेटे को ले जाने की कोशिश की। बड़े बेटे की अभिरक्षा के लिए गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट के अंतर्गत मुकदमा भी दर्ज कराया। तलाक के मुकदमे में पत्नी कोर्ट के सामने हाजिर नहीं हुई। कोर्ट ने एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए पति की तलाक की अंर्जी मंजूर कर ली।