निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा: भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी कई चमत्कारी कहानियां आपने सुनी होंगी. ऐसी ही एक कहानी लोकल 18 आपके लिए लेकर आया है. भगवान श्री कृष्ण मथुरा में पैदा हुए और उनका लालन पालन गोकुल में हुआ, लेकिन 11 साल 50 दिन यहां रहने के बाद वह गोकुल से नंदगांव चले गए. बाबा नंद गांव आने के बाद अपने राज्य का संचालन करते थे और उन्होंने यहां 84 लाख गाय पाल रखी थीं. जिन खूटों से गाय बंधा करती थीं, वह खूंटे आज भी मौजूद हैं. गाय के यह खूंटे द्वापर काल की याद दिलाते हैं.
भगवान नंद बाबा की 84 लाख गाय
मथुरा से करीब 50 किलोमीटर दूर है नंद गांव. इस गांव का नाम बाबा नंद के नाम पर रखा गया है. नंद बाबा इसी गांव में रहकर अपने परिवार और गांव के लोगों के साथ मिल-जुल कर रहते थे. द्वापर काल में नंद बाबा के पास सबसे अधिक गाय थीं. सबसे अधिक गाय होने के कारण नंद बाबा पूरे गांव में चर्चा में रहते थे. मथुरा में भगवान श्री कृष्ण 11 वर्ष 50 दिन तक रहे और यहां कंस के राक्षसों से परेशान होकर वह नंद बाबा बन गोकुल नंदेश्वर पर्वत की ओर चले गए. यहां कृष्ण और नंद बाबा ने एक गांव स्थापित किया. इस गांव का नाम नंद बाबा के नाम पर रखा गया. द्वापर काल से यह गांव नंद गांव से विख्यात होता चला आया है.
नंद गांव में नंद बाबा ने 84 लाख गाय पाल रखी थी. नंद बाबा की यह 84 लाख गए जिन खूंटो से बंधा करती थी, वह खूंटे आज भी मौजूद हैं. गाय के ये दो खूंटे बचे हुए हैं. नंद बाबा की गाय के खूंटे द्वापर काल की याद संजोए हुए हैं. सहज राम नाम के व्यक्ति ने बताया कि यह खूंटे नंद बाबा की गायों के हैं. यहां पहले कई गायों के खूंटे गड्ढे हुए थे, लेकिन समय बीतता गया और वह गाय के खूंटे विलुप्त होते गए.
गोपाष्टमी पर होती है इन गाय के खूंटो की पूजा
स्थानीय नागरिक सहज राम ने यह भी बताया कि गोपाष्टमी के दिन यहीं से गाय का पूजन शुरू होता है. गोपाष्टमी पर इन दो खूंटो पर भोग लगाया जाता है. उसके बाद गायों का पूजन शुरू किया जाता है. नंद बाबा यहां गाय को बांधकर रखते थे. यह वहीं खूंटे हैं, जो नंद बाबा की याद दिलाते हैं. नंद मंदिर से थोड़ी दूरी पर यह गाय के खूंटे बने हुए हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 31, 2024, 09:40 IST