आजमगढ़ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में तैनात महिला कर्मचारी की मिलीभगत से फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने का धंधा चल रहा था। अब तक 18 हजार से भी अधिक फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके हैं। रुपये लेकर बिहार तक के लोगों के फर्जी प्रमाण पत्र बना दिए गए। एटीएस ने इसका खुलासा किया है। एटीएस की पूछताछ के दौरान पकड़े गए जनसेवा केंद्र संचालक और एक अन्य आरोपी ने बताया कि फर्जी आईडी के जरिए जन्म प्रमाण पत्र जारी करने के लिए महिला कर्मचारी को वे अब तक बीस लाख रुपये दे चुके हैं। जिले में अफसरों की नाक के नीचे लंबे समय से यह खेल चल रहा था। पहले जन्म और मृत्यु प्रमाण जनसेवा केंद्रों से ही जारी किए जाते थे।
फर्जीवाड़ा की शिकायतें सामने आने के बाद शासन ने इस पर रोक लगा दी। जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत सचिवों के हवाले कर दी गई। इसके लिए उन्हें सीएमओ कार्यालय से आईडी और पासवर्ड जारी होता था। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का काम संविदा पर तैनात महिलाकर्मी अनीता यादव देखती थी। वही ग्राम पंचायत सचिवों को आईडी और पासवर्ड जारी करती थी।
सूत्रों का कहना है कि आईडी और पासवर्ड के लिए कार्यालय आने वाले सचिवों को वह ओटीपी नहीं आने समेत अन्य समस्याएं बताकर लौटा देती थी। इसके बाद अपने परिचित जनसेवा केंद्र संचालकों के नाम से वही आईडी जारी कर देती थी। ग्राम पंचायत सचिवों की आईडी में जनसेवा केंद्र संचालकों का मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी दर्ज कर देती थी। जिसके बाद वे सचिवों की आईडी से फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने लगते थे।
इसके लिए पांच से दस हजार रुपये तक की उगाही की जाती थी। रुपये लेने के बाद जनसेवा केंद्र संचालक महिलाकर्मी को उसका हिस्सा देते थे। सूत्रों का कहना है कि एटीएस की पूछताछ में जनसेवा केंद्र संचालक और एक अन्य आरोपी ने महिला कर्मी को अब तक बीस लाख रुपये देने की बात स्वीकार की है।
एक संचालक को जारी करती थी 50 गांवों की आईडी
सीएमओ कार्यालय में तैनात संविदाकर्मी अनीता यादव इस पूरे खेल की मास्टरमाइंड थी। एटीएस के हत्थे चढ़ा निजामाबाद थाना क्षेत्र के बड़ागांव निवासी नन्हें यादव उर्फ आनंद यादव इस खेल में उसकी पूरी मदद करता था। नन्हें यादव शहर में कलक्ट्रेट के पास जनसेवा केंद्र चलाता था। उसकी मदद से ही अनीता का अन्य जनसेवा केंद्र संचालकों से संपर्क हुआ।
दो दर्जन से अधिक जनसेवा केंद्र संचालक खेल में शामिल
सीएमओ कार्यालय से चल रहे इस गोरखधंधे में दो दर्जन से अधिक जनसेवा केंद्र संचालक शामिल थे। सूत्रों का कहना है कि संविदा कर्मचारी अनीता ने रुपये लेने के बाद सभी को फर्जी तरीके से ग्राम पंचायत सचिवों की आईडी और पासवर्ड उपलब्ध करा दिया। जिसके बाद वे फर्जी प्रमाणपत्र बनाने लगते थे। इसके लिए मोटी रकम ऐंठते थे। इसके बाद महिला कर्मचारी को भी उसका हिस्सा पहुंचाया जाता था। महिलाकर्मी से पूछताछ के बाद एटीएस ने अभी सिर्फ एक जनसेवा केंद्र संचालक को पकड़ा है। दो दर्जन से अधिक जनसेवा केंद्र संचालकों की छानबीन की जा रही है।
अफसरों की नाक के नीचे चलता रहा खेल
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का खेल अफसरों की नाक के नीचे चल रहा था। एटीएस की कार्रवाई के बाद अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस खेल में क्या सिर्फ महिला संविदाकर्मी अनीता यादव ही शामिल थी। सीएमओ समेत अन्य अधिकारियों को क्या इसकी जानकारी नहीं थी। जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने संबंधी काम सिर्फ संविदाकर्मी के भरोसे छोड़ दिया गया था। क्या इस खेल में अफसरों की भी मिलीभगत थी? फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद इस तरह के तमाम सवाल मुंह बाए खड़े हैं।