एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से विद्यार्थी अब रोचक तरीके से पढ़ाई कर सकेंगे। चाहे कोई ड्राइंग बनानी हो या फिर गणित के किसी सवाल को हल करना हो, एआई युक्त यह सॉफ्टवेयर सबमें मददगार बनेगा। मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) के पुरा छात्र हिमांशु चौरिसया ने शिक्षण में मदद के लिए इसे तैयार किया है। जिसे ‘मेधा’ नाम दिया गया है। खास बात यह कि इसे महज एक साल में विकसित किया गया है और यह बगैर इंटरनेट के काम करेगा। इससे किसी भी भाषा में सवाल कर मनचाही भाषा में जवाब मिल सकेगा। उत्तराखंड सरकार ने इस सॉफ्टवेयर को प्रयोग करने के लिए पुराछात्र हिमांशु से समझौता (एमओयू) किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) की गाइडलाइन के तहत हिमांशु वहां के 780 शिक्षकों को इसे चलाने का प्रशिक्षण देंगे। एमएनएनआईटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग से बीटेक करने वाले हिमांशु का दावा है कि उनके द्वारा विकसित यह देश का पहला टीचिंग एसिस्टिव एआई युक्त सॉफ्टवेयर है।
हिमांशु ने पढ़ाई के दौरान ही संस्थान में को-ग्रेड नाम से अपना स्टार्टअप शुरू किया था। यह कंपनी खास तरह की जरूरत के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करती है। उन्होंने बताया कि यह एआई सॉफ्टवेटर एनईपी-2020 के मानकों के अनुरूप गतिविधि आधारित शिक्षण के लिए तैयार किया गया है। इसकी मदद से शिक्षक छात्र का असाइनमेंट तैयार करवाने के साथ ही उसे होमवर्क दे सकेंगे। यह पढ़ाने के लिए लेसन प्लान तैयार करने में भी सक्षम है।
समझाने का मंत्र भी देगा
एआई सॉफ्टवेयर शिक्षकों को किसी भी जटिल विषय को छात्रों को आसानी से समझाने का मंत्र भी देगा। हिमांशु ने बताया कि इसका निर्माण ग्रामीण, पहाड़ी स्थानों को ध्यान में रखकर किया गया है। जहां पर इंटरनेट की सुविधा बहुत अच्छी नहीं है। बकौल हिमांशु समझौते के तहत वह 780 शिक्षकों को मुफ्त में प्रशिक्षित करेंगे, इसके बाद कोई शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहेगा तो उसे 100 रुपये शुल्क देना होगा। हिमांशु की टीम में इटावा के सौरभ और प्रशांत चौधरी भी शामिल हैं।