चोपन (मनोज चौबे)
चोपन। सरकार जहा एक तरफ बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर तमाम दावे कर रही हैं वही दूसरी तरफ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोपन में करीब 4 वर्षो से आधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीन धूल फांक रही है, लेकिन विभाग का इस ओर ध्यान नहीं है।लाखों की अल्ट्रासाउंड मशीन लगी तो पूरे क्षेत्र के लोगों में खुशी थी कि जरूरत पर अल्ट्रासाउंड के लिए रोगियों को दूर नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन वर्षों बाद भी अल्ट्रासोनोलाजिस्ट की तैनाती न होने से मशीन जस की तस पड़ी हुई है।स्वास्थ्य विभाग द्वारा व्यवस्था बनाने के लिए बड़े-बड़े दावे तो किए जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत बहुत दूर है।अस्पताल में एक्स-रे मशीन व टेक्नीशियन हैं, लेकिन अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है।मशीन होते हुए भी रोगियों को अल्ट्रासाउंड के लिए आस-पास के निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर जाना पड़ता है। जहां अल्ट्रासाउंड के 800 से 1000 रुपये लिए जाते हैं। अल्ट्रासाउंड व्यवस्था ध्वस्त होने से सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है।गर्भ में पल रहे बच्चे की अवस्था की निगरानी के अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है। प्रसव के लिए आई महिलाओं को दिक्कत होने व अल्ट्रासाउंड व्यवस्था न होने पर महिला रोग विशेषज्ञ चिकित्सक को मजबूरी में रेफर कागज बनाने पड़ते हैं। अस्पताल के आंकड़ों की माने तो करीब 50 से 60 प्रतिशत मामले तत्काल अल्ट्रासाउंड व्यवस्था न होने के कारण रेफर करने पड़ते हैं।इस सम्बंध में जब हॉस्पिटल अधीक्षक से बात की गई तो उन्होंने बताया की अल्ट्रासाउंड ऑपरेटर न रहने के कारण मशीन बंद थी लेकिन अब ऑपरेटर आ गया है, जल्द ही मशीन चालू कर दिया जाएगा।