ऐप पर पढ़ें
Lok Sabha Election: लंबे समय के इंतजार के बाद आखिरकार बीजेपी ने गुरुवार शाम को यूपी की वीवीआईपी सीट रायबरेली से उम्मीदवार की घोषणा कर दी। यहां से बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया है। इसके अलावा, बीजेपी ने यूपी के कैसरगंज लोकसभा सीट से भी अपना कैंडिडेट घोषित कर दिया। वर्तमान सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट पार्टी ने काट दिया है और उनके बेटे करण भूषण को मैदान में उतारा है। रायबरेली में बीजेपी ने अपने पुराने चेहरे पर ही दांव लगाया है। दिनेश प्रताप सिंह बीजेपी से विधान परिषद के सदस्य हैं और 2019 का लोकसभा चुनाव भी सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ चुके हैं।
साल 2018 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए दिनेश प्रताप सिंह पू्र्व में भी एमएलसी रह चुके हैं। सबसे पहले 2010 से 2016 तक, फिर 2016 से 2022 तक वे एमएलसी रहे और फिर तीसरी बार 2022 में भी उन्हें जीत मिली। यूपी की योगी सरकार में इस समय दिनेश राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं। 2018 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन करने वाले दिनेश प्रताप सिंह को पार्टी ने रायबरेली से टिकट दिया था। 2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को कड़ी टक्कर दी, लेकिन जीत नहीं मिल सकी। सोनिया गांधी को 55.80 फीसदी वोट मिले, जबकि दिनेश सिंह को 38.36 फीसदी वोट हासिल हुए।
गांधी परिवार का गढ़ रहा है रायबरेली
यूपी की अमेठी और रायबरेली सीटों को गांधी परिवार का गढ़ माना जाता रहा है। हालांकि, पिछले चुनाव में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने अमेठी से राहुल गांधी को हरा गढ़ में सेंध लगा दी थी, लेकिन कांग्रेस को रायबरेली में जीत मिली थी। सोनिया गांधी रायबरेली से 2004 से लेकर 2024 तक लगातार सांसद रहीं। 2004 के बाद 2006 उपचुनाव, फिर 2009, 2014 और 2019 में सोनिया गांधी को बड़ी जीत मिली। हालांकि, इस साल सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव न लड़कर राज्यसभा जाने का फैसला किया। वे अभी राजस्थान से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद हैं। वहीं, कांग्रेस रायबरेली और अमेठी सीट पर जल्द उम्मीदवार की घोषणा करने जा रही है।