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up lok sabha election 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर विभिन्न चैनलों पर आ रहे ओपिनियन पोल में मायावती की बसपा की हालत खराब बताई जा रही है। कई सर्वे के अनुसार बसपा का खाता भी यूपी में नहीं खुल रहा है। इस बीच मायावती ने खुद भी अपने प्रत्याशियों का सर्वे कराया है। इस सर्वे में आए निष्कर्ष के बाद प्रत्याशी और पदाधिकारियों पर बड़ा एक्शन लिया है। झांसी-ललितपुर संसदीय सीट से घोषित प्रत्याशी राकेश कुशवाहा को सीधे पार्टी से ही निष्कासित कर दिया है। जिलाध्यक्ष जयपाल अहिरवार को हटा दिया गया है। उनकी जगह नया जिलाध्यक्ष बना दिया है। इसके अलावा मण्डल प्रभारियों के भी पर कतर दिए हैं।
झांसी-ललितपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने निवर्तमान सांसद अनुराग शर्मा पर दूसरी बार तो गठबंधन की ओर से कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य को मैदान में उतारा है। बसपा ने एक सप्ताह पहले राकेश कुशवाहा को प्रत्याशी घोषित किया था। राकेश को बसपा का पुराना सदस्य बताते हुए स्थानीय स्तर पर टिकट की पैरवी की गई थी।
इस बीच मायावती ने सर्वे कराया तो पता चला कि प्रत्याशी की शिथिलता और चुनावी गतिविधियों में सक्रिय नहीं हैं। पता चला कि राकेश कुशवाहा बसपा के पुराने कार्यकर्ता नहीं रहे बल्कि वह सपा का हिस्सा रह चुके हैं। इस पर पार्टी ने कार्रवाई करते हुए प्रत्याशी को पार्टी से ही निकाल दिया। फिलहाल नया प्रत्याशी अभी घोषित नहीं किया गया है।
प्रत्याशी के साथ ही पार्टी जिलाध्यक्ष जयपाल को भी उदासीन मानते हुए पद से हटाकर उनकी जगह पर वीके गौतम को नया जिलाध्यक्ष बना दिया। इसके साथ ही मंडल के पदाधिकारियों पर भी एक्शन हुआ है। झांसी-चित्रकूट मण्डल के सात जिलों का प्रभार सम्भाल रहे लालाराम अहिरवार को अब सिर्फ झांसी मंडल का प्रभारी बनाया गया है। झांसी मंडल प्रभारी कैलाश पाल को जिला प्रभारी बनाया गया है।
इस लोकसभा चुनाव में भले ही मायावती देरी से मैदान में उतरी हैं लेकिन उनके प्रत्याशियों को लेकर सामने आई रणनीति की हर तरफ चर्चा है। पहले माना जा रहा था कि वह इंडिया गठबंधन के वोट काटेंगी। लेकिन जिस तरह से प्रत्याशियों को उतारा है भाजपा और एनडीए की भी मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। इससे कई सीटों पर मुकाबला कड़ा और त्रिकोणीय हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का यहां तक कहना है कि कई सीटों पर मायावती सीधे-सीधे भाजपा को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
इस चुनाव में पहली बार उनके भतीजे और उत्तराधिकारी आकाश आनंद भी लगातार चुनाव प्रचार में जुटे हैं। उनके निशाने पर भी इंडिया गठबंधन से ज्यादा भाजपा और योगी-मोदी की सरकारें और उनकी योजनाएं रहती हैं।