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Lok Sabha Election 2024: यूपी के मुरादाबाद में सपा के मौजूदा सांसद एसटी हसन अभी तक इस सवाल से जूझ रहे हैं कि आखिर उनका टिकट क्यों काटा गया? मेरठ से सपा विधायक अतुल प्रधान भी बड़ी मुश्किल से टिकट तय होने और फिर कटने से आहत हैं। बरेली से भाजपा के मौजूदा सांसद संतोष गंगवार के समर्थक अब टिकट कटने का सवाल पीछे छोड़ चुके हैं लेकिन वहां संतोष गंगवार दूसरे कारणों से आहत हैं। पश्चिमी यूपी में सियासी दलों के सामने विरोधी पार्टियों के अलावा अपने लोगों की नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है।
इन दलों को इस बात का अहसास है कि जिनका टिकट काटा गया है, वह भले ही पार्टी अनुशासन में चुप रहें, लेकिन उनके समर्थकों को शांत करना खासा मुश्किल है। अगर समर्थक विरोध न भी करें अगर वह घर बैठ गए तो भी प्रत्याशी का नुकसान हो सकता है। इसलिए दलों के वरिष्ठ नेता पार्टी के असंतुष्ट लोगों को समझाने बुझाने में लगे हुए हैं। इस मामले में भाजपा का रवैया मान मनौवल वाला है तो कुछ सीटों पर सपा का रवैया सख्त दिखता है।
मुरादाबाद में रविवार को सपा प्रत्याशी रुचिवीरा की रैली में मौसम की खराबी के कारण अखिलेश यादव नहीं पहुंच पाए। पर एक रोज पहले ही टिकट कटने से नाराज एसटी हसन ने ऐलान कर दिया कि वह रैली में शामिल नहीं होंगे क्योंकि उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया। टिकट कटने की बात को वह भुला नहीं पाएं हैं और उनके समर्थक क्या रुख अपनाते हैं फिलहाल कहना मुश्किल है।
भाजपा ने क्षत्रियों को मनाने का जतन शुरू किया
जब भाजपा ने गाजियाबाद से सांसद जनरल वीके सिंह का टिकट काटा तो इससे क्षत्रियों की उपेक्षा का संदेश गया। हालांकि वीके सिंह ने तो पार्टी के निर्णय को स्वीकार किया। पर उपेक्षा की बात मुजफ्फरनगर व अन्य सीटों तक पहुंच गई। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भाजपा संभालते हुए स्थिति संभालते हुए कई जनसभाएं कीं। मुजफ्फरनगर में भाजपा प्रत्याशी संगीत बलियान व पार्टी के कद्दावर नेता संगीत सोम के बीच विवाद को सुलझाने की भी कोशिशें हो रही हैं।
बरेली में भाजपा प्रत्याशी छत्रपाल गंगवार व वर्तमान सांसद संतोष गंगवार के समर्थकों के बीच भी समन्वय बनाने की कोशिशें हो रही हैं। मेरठ में जब अतुल प्रधान का टिकट काटा तो शुरू में उन्होंने नाराजगी के संकेत दिए लेकिन अखिलेश यादव ने सख्ती दिखा कर शांत कराया। उधर, सपा को रामपुर में भी आंतरिक असंतोष का सामना करना पड़ रहा है। वहां सपा द्वारा घोषित प्रत्याशी को स्थानीय इकाई से समर्थन लेने में खासी मुश्किलें आ रही हैं।