हाइलाइट्स
शनि प्रदोष व्रत पर शिव पूजा का मुहूर्त: 6 अप्रैल, 06:42 पीएम से 08:58 पीएम तक.
चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 6 अप्रैल, शनिवार, 10:19 एएम से.
इस साल का पहला शनि प्रदोष व्रत 6 अप्रैल को है. शनि प्रदोष व्रत के दिन उपवास रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा विधिपूर्वक करते हैं. पूजा के दौरान शनि प्रदोष व्रत की कथा सुनते हैं. भगवान शिव के आशीर्वाद से पुत्र की प्राप्ति होती है, ऐसी धार्मिक मान्यता है. शनि प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा शाम के समय में की जाती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय क्यों करते हैं? जानें पूजा मुहूर्त और विधि.
शनि प्रदोष व्रत की पूजा शाम में क्यों?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, त्रयोदशी तिथि को सूर्यास्त के बाद भगवान शिव आनंद से मग्न होकर कैलाश पर नृत्य करते हैं. उस समय वह प्रसन्न मुद्रा में होते हैं. इस वजह से उस समय में उनकी पूजा करते हैं, ताकि उनकी कृपा प्राप्त हो और मनोकामनाएं पूरी हों. यही कारण है कि प्रदोष को शाम के समय शिव पूजा होती है.
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शनि प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त
चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 6 अप्रैल, शनिवार, 10:19 एएम से
चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि का समापन: 7 अप्रैल, रविवार, 06:53 एएम पर
शिव पूजा का मुहूर्त: 6 अप्रैल, 06:42 पीएम से 08:58 पीएम तक
द्विपुष्कर योग: 6 अप्रैल, 02:55 पीएम से 7 अप्रैल को 06:17 एएम तक
ध्रुव योग: 6 अप्रैल, प्रात:काल से रात 10:18 पीएम तक
रुद्राभिषेक का समय: पूरे दिन
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शनि प्रदोष व्रत 2024 पूजा विधि
शनि प्रदोष वाले दिन सुबह उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत हो जाएं. उसके बाद स्नान करके साफ कपड़े पहन लें. फिर शनि प्रदोष व्रत और शिव पूजा का संकल्प करें. फिर दैनिक पूजा कर लें. दिनभर फलाहार पर रहें, उसके बाद शाम को शुभ मुहूर्त में शिव जी की पूजा करें.
सबसे पहले शिवलिंग का जलाभिषेक करें. उसके बाद शिव जी को बेलपत्र, अक्षत्, भांग, सफेद चंदन, भस्म, धतूरा, शक्कर, शहद, धूप, दीप आदि अर्पित करें. शिव चालीसा और शनि प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें. उसके बाद शिव जी की आरती करें.
पूजा के अंत में भगवान शिव से संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें. शिव कृपा से आपकी मनोकामनाएं पूरी हों.
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Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, Religion
FIRST PUBLISHED : April 5, 2024, 10:52 IST