सोनभद्र (विकास द्विवेदी)
सोनभद्र। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य आशुतोष कुमार दुबे (आशु) के नेतृत्व में घोरावल विधानसभा के बढ़ौली क्षेत्र वार्ड नंबर 6 अनुसूचित बस्ती में अनुसूचित जाति/जनजाति के नेता बिरसा मुंडा की 148वीं जयंती धूमधाम से मनाई गयी।इस अवसर पर श्री दुबे ने कहा कि आज के ही दिन 15 नवंबर 1875 को झारखंड के छोटा नागपुर पठार क्षेत्र में बिरसा मुंडा जी का जन्म हुआ था।25 वर्ष की छोटी उम्र में ही बिरसा मुंडा एक करिश्माई नेता के रूप में उभरे जिन्होंने विभिन्न आदिवासी समुदायों को अपने नेतृत्व में एकजुट किया।उन्होंने जन आंदोलन का आयोजन किया और ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ कई विद्रोहो का नेतृत्व किया, उनके संघर्ष की विशेषता शांतिपूर्ण विरोध, असहयोग और सामाजिक और आर्थिक समानता का आवाहन था।भारतीय इतिहास में एक महान साहसी आदिवासी नेता बिरसा मुंडा थे, उन्होंने 19वीं सदी के अंत में स्वदेशी लोगों के अधिकारों और कल्याण के लिए लड़ाई लड़ी थी।बिरसा मुंडा का जीवन आदिवासी समुदायों को शोषण और उत्पीड़न से बचाने के उनके अथक प्रयासों से चिह्नित है।उन्होंने जनजातियों को अन्यायपूर्ण ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों और उनके श्रम और संसाधनों का शोषण करने वाले स्थानीय जमींदारों के खिलाफ एकजुट किया।कांग्रेस नेता श्रीकांत मिश्रा ने कहा कि बिरसा मुंडा का दृष्टिकोण राजनीतिक मुक्ति से भी आगे तक फैला हुआ था, उनका उद्देश्य स्वदेशी जनजातियों और सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को पुनर्जीवित करना था।उन्होंने अपने रीति-रिवाजो, परंपराओं और भाषा के संरक्षण पर जोर दिया और बाहरी संस्कृत प्रथाओं को जबरन थोपने के खिलाफ लड़ाई लड़ी।बिरसा मुंडा का प्रयास आदिवासी समुदायो की समृद्धि सांस्कृतिक विरासत को पहचानने और मनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था।अंत में आशु दुबे ने कहा कि दुर्भाग्य से, बिरसा मुंडा की यात्रा तब रुक गई जब उन्हें सन 1900 में अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।उन्होंने अपने आखिरी दिन जेल में बिताए और 9 जून 1900 को 25 साल की छोटी उम्र में उनका निधन हो गया हालांकि उनकी विरासत जीवित रही और पीढ़ियों को प्रेरणा देती रही।इस अवसर पर राम लखन, इतवारी, मालती, संदीप, महेंद्र कुमार, सरिता, सीमा मिथिलेश आदि उपस्थित रहे।