विंढमगंज (वीरेंद्र कुमार)
विण्ढमगंज। स्थानीय सततवाहिनी नदी के किनारे स्थापित काली शक्तिपीठ मंदिर मे नवरात्र शुरू होते ही भक्तों का ताता लगने लगा।यहां के मंदिर न सिर्फ सोनभद्र बल्की आसपास झारखंड छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश बिहार क्षेत्रों के लिए भी श्रद्धा भक्ति व विश्वास का प्रतीक है। काली शक्तिपीठ विंढ़मगंज, दशहरा पूजा के प्रथम नवरात्र से ही दूर दराज से लोग यहां आते हैं और माता के चरणों में माथा टेक कर सुख व शांति की कामना करते हैं।माता की शक्ति इतनी है कि यहां सालों साल भक्तों का तांता लगा रहता है।मंदिर के इतिहास के बारे में लोग बताते हैं कि 1860 के आसपास आदिवासियों ने इस मंदिर की स्थापना की थी।मंदिर की प्रतिष्ठा दूर-दूर तक है।लोगों की मान्यता है कि जो सच्चे मन से मनौती मांगता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।प्रत्काली की अद्वितीय प्रतिमा है और शक्तिपीठ भी है जहां हर मनोकामना पूरी होती है।यदि आप सच्चे मन से एक बार भी इस मंदिर में आकर मां की आराधना किया तो आपका काम अवश्य पूरा हो जाएगा।विण्ढमगंज के काली शक्तिपीठ मंदिर की महिमा अपार है।मंदिर में 9 दिन का विशेष अनुष्ठान किया जाता है।इन दिनों शाम को होने वाली विशेष महा आरती मे अपार जनसमूह उमड़ता है।ऐसी मान्यता है की आरती के समय मांगी गई हर मनोकामना माता रानी पूरा करती है।