रेणुकूट(अमिताभ मिश्र)
रेणुकूट। मानसून आने के साढ़े तीन माह बाद भी बांध का जलस्तर अभी भी चिंताजनक स्तर पर है, बीते 24 घंटे से हो रही बारिश के बाद भी बांध का जलस्तर अभी 850 फीट पार कर चुका है। अभी भी बांध के कैचमेंट एरिया में बारिश का पानी न आने से बांध अपने पूरी क्षमता से भरने में 20 फीट पीछे है जिससे वहां से जुड़ी परियोजनाओं को इस वर्ष परेशानी हो सकती है यदि आने वाले कुछ दिनों में ठीक-ठाक बारिश नहीं हुई तो बांध में पानी चिंताजनक स्थिति में ही रह सकता है। इस वर्ष बांध का जलस्तर गर्मी में 837 फीट तक पहुंच गया था जून में आए मानसून के बाद लगभग साढ़े 3 माह से रुक रुक कर हो रही बरसात के कारण बांध का जलस्तर मंगलवार की सुबह 850.1 फीट तक ही पहुंच सका है जबकि बीते वर्ष आज ही के दिन बांध का जलस्तर 854.1 फीट पर पहुंचा था। बीते 36 घंटे से हो रही ठीक-ठाक बारिश से बांध से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि अभी भी बांध में पानी आ जाएगा यदि आने वाले एक पखवाड़े में ठीक-ठाक बरसात हुई तो बांध में सुकूनदेह स्थिति में पानी आ सकता है, हालांकि अभी भी पिछले वर्ष की तुलना में बांध में 4 फीट की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले वर्ष आज ही के दिन बंद में 854.1 फीट पानी था। पंडित गोविंद बल्लभ पंत सागर का विशाल कैचमेंट एरिया मानसून की कमी से वीरान सा पड़ा हुआ है, 300 मेगावाट वाली पिपरी विद्युत गृह से समय-समय पर बढ़ती मांग को देखते हुए दिन में 8 से 10 घंटे विद्युत उत्पादन कर आपूर्ति भी ली जा रही है मानसून की कमी ने सभी संबंधित अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है। वर्तमान समय में 3 अक्टूबर की सुबह 8 बजे बांध का जलस्तर 850.1 फीट पर पहुंचा था। ऐसा कई वर्षों के बाद हुआ है कि मानसून की शुरुआत में ही कम बारिश चिंता बढ़ा रही है जबकि अन्य दर्जनों कल कारखाने को संचालन पहुंचने के लिए न्यूनतम 4 से 6 फीट पानी शेष रखना अति आवश्यक होता है जिससे रिहंद पर आश्रित सभी कल-कारखानों को समुचित पानी दिया जा सके। इस वर्ष बारिश नहीं होने से बांध का जलस्तर चिंताजनक स्थिति में है। जलस्तर के गिरावट को देखते हुए यहां से विद्युत उत्पादन भी पूरी तरह से संभव नहीं हो पा रहा है वर्ष 2018 में मानसून की शुरुआती दौर में ही अच्छी बारिश के कारण बांध के सभी फाटक खोल दिए गए थे मगर इस वर्ष शुरुआत से ही मानसून की बेरुखी के कारण बांध से संबंधित लोगों की चिंता बढ़ गई है साथ ही मौसम की बेरुखी से इस वर्ष खेती भी बहुत ज्यादा प्रभावित हुई है।