सोनभद्र न्यूज़ लाइव…
शि-शिल्पी (ब्रह्मा)
क्ष-क्षमाशील (विष्णु)
क-कल्याणकारी(शिव)
देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरो रुष्टे न कश्चनः । गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता न संशयः ।।
अर्थात् -: देवता यदि रुष्ट हो जाए, तो गुरु रक्षा करते हैं, लेकिन यदि गुरु रुष्ट हो जाए तो कोई भी रक्षा नहीं कर सकता। केवल गुरु ही रक्षक हैं, गुरु ही रक्षक हैं, गुरु ही रक्षक हैं। और इसमें कोई संशय नहीं है।
डॉ विश्राम
अपर जिलाधिकारी (न्यायिक)
जनपद कौशांबी