बभनी (चंद्रसेन पांडेय)
– रोजगार मुहैया कराने के लिए तैयार कराती गयी थी नर्सरी
– 40500 पौधों को खरीदार का इन्तजार
बभनी। विकास खण्ड बभनी में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और मनरेगा के तहत संवरा गांव में नर्सरी लगाकर रोजगार और पर्यावरण से जोड़ने का प्रयास किया गया।अब हाल यह है कि नर्सरी के तैयार पौधों को खरीदार ही नहीं मिल रहे।जिसको लेकर समूह की महिलाएं चिंतित हैं।ग्रामीण महिलाओं को रोजगार और पर्यावरण से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संवरा गांव में गंगा समूह से नर्सरी तैयार करायी गयी जिससे महिलाएं पर्यावरण से जुड कर रोजगार पा सके लेकिन विभागीय उपेक्षा के कारण तैयार नर्सरी समूह की महिलाओं के लिए समस्या बन कर खड़ा हो गया।
सितम्बर 2022 में गंगा समूह के माध्यम से संवरा गांव में नर्सरी शुरू की गयी।जिसमे मनरेगा योजना से मजदुर लगाए गए।समूह की महिलाओं ने मेहनत कर 15000 अमरूद और आंवला, 10000 सागौन, 500 सरिफा के पौधें तैयार है।तैयार 40500 पौधों को अब खरीदार का इन्तजार है।समूह की महिलाओं ने ग्रामीण राष्ट्रीय आजीविका मिशन से ऋण लेकर पौधों को तैयार किया कि जिसे बेच कर ऋण चुका सकें लेकिन विभाग की उपेक्षा के कारण तैयार पौधे समूह की महिलाओं के लिए गले की हड्डी बन गई।एक वर्ष से किसान का खेत फंसा हुआ है।समूह की महिलाएं अब विभाग के चक्कर लगा रही है। विभागीय अधिकारियों से सन्तोंष जनक जबाब न मिलने के कारण समूह की महिलाएं परेशान हैं
कड़ी धूप में मेहनत कर तैयार की नर्सरी
बभनी। विकास खण्ड बभनी के संवरा गांव में कड़ी धूप में समूह की महिलाओं ने मनरेगा की मदद से नर्सरी तैयार तो कर ली लेकिन अब पौधों के लिए खरीदार न मिलने से परेशान हैं।संवरा गांव की महिलाएं फूलमती, सीतादेवी, निशा, गीता देवी, शिव कुमारी ने कहा कि तैयार नर्सरी के पौधों को बेचने के लिए विभागों और अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं और पौधे खरीदने को कोई तैयार नहीं है।