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Kangaroo Mother Care benefits : जन्म के बाद शुरुआती 18 से 20 घंटे नवजात को ये मिलना जरूरी है. मां की तबीयत ठीक नहीं है या ऑपरेशन हुआ है, तो कोई अन्य पेरेंट्स भी ये प्रक्रिया अपना सकता है.
प्री मैच्योर डिलेवरी और कम वजन वाले शिशुओं के लिए रामबाण है कंगारू मदर केयर, लेक
हाइलाइट्स
- कंगारू मदर केयर प्री-मैच्योर शिशुओं के लिए रामबाण है.
- KMC से नवजातों की ग्रोथ और वजन तेजी से बढ़ता है.
- नोएडा में कई अस्पतालों में KMC यूनिट्स स्थापित की गई हैं.
नोएडा. समय से पहले जन्मे शिशुओं या कम वजन के नवजातों के लिए कंगारू मदर केयर (Kangaroo Mother Care – KMC) रामबाण है. अधिकतर पेरेंट्स नवजातों की इस विशेष देखभाल पद्धति के बारे में जागरूक नहीं हैं. कंगारू मदर केयर के जरिए नवजातों को मां की प्राकृतिक गर्माहट दी जाती है, जिससे उनकी ग्रोथ बेहतर होती है और वजन तेजी से बढ़ता है. नोएडा सेक्टर-110 स्थित मैटरनिटी विंग की अधीक्षक एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक ने इस बारे में लोकल 18 से खास जानकारी साझा की. डॉ. पाठक ने बताया कि जब किसी महिला की प्री-मैच्योर डिलीवरी होती है या शिशु का जन्म कम वजन में होता है, तो उस अवस्था में KMC काफी कारगर है. डॉ. पाठक के अनुसार, जन्म के बाद शुरुआती 18 से 20 घंटे नवजात को मां की त्वचा की गर्माहट मिलनी बेहद जरूरी होती है. यदि किसी कारणवश मां की तबीयत ठीक नहीं है या ऑपरेशन हुआ है, तो कोई अन्य पेरेंट्स भी ये प्रक्रिया अपना सकता है.
इनके लिए वरदान
डॉ. पाठक बताती हैं कि इस प्रक्रिया में शिशु को मां की छाती से चिपकाकर रखा जाता है. इससे उसे न सिर्फ गर्मी मिलती है बल्कि ग्रोथ और वजन में भी तेजी आती है. वे शिशु जो 8.5 महीने से पहले जन्म लेते हैं या जिनका वजन कम होता है, उनके लिए KMC जीवनरक्षक की भूमिका निभा सकती है. गौतमबुद्ध नगर जिले में जिला अस्पताल, बादलपुर और दादरी सीएचसी में स्थानीय प्रशासन और नेशनल हेल्थ मिशन के सहयोग से कंगारू मदर केयर यूनिट्स की स्थापना की गई है. सीएचसी भंगेल, नोएडा सेक्टर-110 जैसे स्थानों पर जहां हर महीने करीब 250 डिलीवरी होती हैं, यहां भी जल्द ही इस यूनिट को लगाने की तैयारी है.
जल्द मिलेगी सुविधा
डॉ. मीरा पाठक के अनुसार, हर 50वीं डिलीवरी में एक शिशु को KMC की जरूरत होती है. निकट भविष्य में भंगेल सीएचसी में भी ये सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे अधिक से अधिक माताओं और नवजातों को इसका लाभ मिल सके. जिन इलाकों में ये यूनिट नहीं है, वहां भी मां या कोई पेरेंट्स घर पर ही इस प्रक्रिया को अपना सकते हैं. जिन नवजातों और प्रेगनेट महिलाओं की ये पहला गर्मी सीजन है, उन्हें बाहर नहीं निकलना चाहिए. घर पर ही अच्छी डायट के साथ टेंप्रेचर को मेंटेन करके रहें. अगर आप AC चला रहे हैं तो 25-26 डिग्री पर चलाएं ताकि शिशु को कोई तकलीफ न हो.