ग्रहों के राजा सूर्य देव 13 अप्रैल दिन सोमवार को मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करने वाले हैं और इसी के साथ एक माह का खरमास भी खत्म हो जाएगा. खरमास के खत्म होने के साथ ही शादियों का सीजन भी शुरू हो जाएगा. दरअसल हर साल दो बार खरमास लगता है, पहला खरमास दिसंबर से जनवरी के बीच लगता है, जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं और दूसरा खरमास मार्च से अप्रैल माह के बीच लगता है, जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं. खरमास के लगते ही शुभ व मांगलिक कार्यक्रमों पर रोक लग जाती है लेकिन अब सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से खरमास खत्म हो जाएगा और फिर से शादी की शहनाई गूजेंगी.
14 अप्रैल से 9 जून तक विवाह के मुहूर्त
सूर्य 13 अप्रैल को मेष राशि में गोचर करने वाले हैं, सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तब वह दिन संक्रांति के नाम से जाना जाता है. सूर्य के मेष राशि में आने से शादी विवाह के साथ नामकण, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित, मुंडन आदि शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे. इस बार 14 अप्रैल से 9 जून तक विवाह के 30 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. शादी विवाह के शुभ मुहूर्त पर 6 जुलाई को विराम लग जाएगा, जो 2 नवंबर तक जारी रहेगा. इसके बाद फिर से शादी की शहनाई गूंजने लगेंगी.
खरमास में लग जाता है विराम
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सात मार्च से होलाष्टक लग गए थे और फिर 14 मार्च को सूर्यदेव गुरु ग्रह की राशि मीन में प्रवेश कर चुके थे, इसके साथ ही खरमास शुरू हो गया था. होलाष्टक और खरसमा के चलते शुभ व मांगलिक कार्यक्रम पर विराम लग गया था. अब 14 अप्रैल से 9 जून तक शादी, गृह प्रवेश, भूमि-भव, मूर्ति प्रतिष्ठा, मुंडन, यज्ञोपवीत संस्कार, मांगलिक कार्यों के अनेक शुभ मुहूर्त रहने वाले हैं.
शुभ कार्यों के लिए गुरु उदय का होना महत्वपूर्ण
सूर्य जब जब गुरु ग्रह की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं, तब खरमास प्रांरभ हो जाता है और शुभ व मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. सूर्य जब गुरु ग्रह की राशि में आते हैं, तब गुरु ग्रह निस्तेज हो जाते हैं यानी उनका प्रभाव कम होने लगता है. लेकिन शुभ व मांगलिक कार्यों में गुरु और शुक्र ग्रह का विशेष महत्व होता है और जब ये दोनों ग्रह पूर्ण प्रभाव में होते हैं, तब ही शुभ कार्य संपन्न किए जाते हैं.
फिर आएगा चातुर्मास
धर्म शास्त्रों में गुरु अस्त और शुक्र अस्त होने के दौरान मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. 6 जुलाई को हरिश्यानी एकादशी है और देव उठनी एकादशी तक यानी इन चार माह तक देवी देवता विश्राम करते हैं. चार माह के चातुर्मास में कोई भी शुभ व मांगलिक कार्यक्रम नहीं होते हैं. 2 नवंबर को देव उठनी एकादशी और इस एकादशी को श्रीहरि फिर से जगत के कार्यभार संभालते हैं. इसी के साथ शुभ मांगलिक कार्यक्रम फिर से शुरू हो जाते हैं.
सात फेरों के शुभ मुहूर्त
अप्रैल – 14, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 29, 30
मई – 1, 5, 6, 8, 10, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 27, 28
जून- 2, 4, 5, 7, 8, 9