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Manoj Kumar Film Kranti:फिल्ममेकर मनीष गोस्वामी ने दिवंगत भाई मनोज कुमार को लेकर बात की. उन्होंने बताया कि मनोज कुमार परफेक्शनिस्ट थे. ‘क्रांति’ फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्होंने परवीन बाबी से सिर्फ एक शॉट के ल…और पढ़ें
मनोज कुमार के भाई मनीष गोस्वामी ने सुनाया किस्सा.
हाइलाइट्स
- मनोज कुमार ने परवीन बाबी से 66 रीटेक करवाए थे.
- एक शॉट के लिए शूटिंग रात 2 बजे तक चली.
- मनोज कुमार के भाई मनीष गोस्वामी ने सुनाया किस्सा.
नई दिल्ली. दिग्गज एक्टर मनोज कुमार का हाल ही में निधन हो गया. कई फिल्मी हस्तियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया. मनोज कुमार शानदार एक्टर ही नहीं, बल्कि कमाल के फिल्ममेकर भी थे. वह अपनी मूवीज में हर बारीकी का ध्यान रखते थे. हाल ही में फिल्ममेकर भाई मनीष गोस्वामी ने दिवंगत भाई मनोज कुमार को लेकर खुलकर बात की. साथ ही बताया कि ‘क्रांति’ फिल्म की शूटिंग के दौरान एक शॉट को लेकर 66 रीटेक हुए थे.
विक्की लालवानी को दिए इंटरव्यू में मनीष गोस्वामी ने बताया कि उनके भाई मनोज कुमार परफेक्शनिस्ट थे. उन्होंने बताया, ‘वह कभी भी किसी चीज के लिए समझौता नहीं करते थे. अगर किसी सीन के लिए 30, 40 या फिर 50 रीटेक की जरूरत होती, तो वह उसे करते थे.’ इसके बाद मनीष गोस्वामी ने फिल्म ‘क्रांति’ फिल्म की शूटिंग के दौरान किस्सा बताया.
रात के 2 बजे तक चली थी शूटिंग
उन्होंने कहा, ‘यह क्रांति की शूटिंग के दौरान हुआ था. हम जोधपुर पैलेस में शूटिंग कर रहे थे. एक सीन था, जिसमें परवीन बाबी को दीवार पर हाथ उठाकर क्रांति जिंदाबाद कहना था. लेकिन वह वैसा नहीं कर पा रही थीं, जैसा मनोज कुमार चाहते थे. हमने 66 रीटेक किए और रात 2 बजे शॉट ओके हुआ.’ उन्होंने यह भी बताया कि इतनी बार रीटेक होने के बावजूद मनोज कुमार ने कभी अपना आपा नहीं खोया. वह हमेशा शांत रहते थे, लेकिन उनमें गजब का कन्विक्शन था. उन्होंने कभी गुस्सा नहीं किया. ‘
तनाव में माथे पर बांध लेते रूमाल
मनोज कुमार की फिल्म के सेट का माहौल बताते हुए मनीष ने कहा कि अगर उनके भाई ने माथे पर रुमाल बांधा हुआ होता, तो इसका मतलब होता कि वह बहुत दबाव में हैं. उन्होंने कहा, ‘जब उनके माथे पर रुमाल होता, तो इसका मतलब होता था कि यूनिट का कोई मेंबर उनसे यह ना पूछे कि पैकअप कब होगा. ज्यादातर दिनों में सबकुछ प्लान के अनुसार चलता था, लेकिन जिन दिनों ऐसा नहीं होता था, तो वह शूटिंग खत्म करने में लगे रहते थे.’ उन्होंने यह भी बताया कि भाई मनोज कुमार समय के बहुत पाबंद थे, लेकिन इन चीजों को संभालने का उनका अपना तरीका था.
समय के पाबंद थे मनोज कुमार
उन्होंने कहा, ‘अगर आप सुबह 9 बजे की शिफ्ट पर समय पर आ रहे हैं तो वह आपको कुछ नहीं कहेंगे. लेकिन अगर आप 9 बजे की शिफ्ट के लिए दोपहर 12 बजे आते हैं, तो वह आपको तभी जाने देंगे, जब उन्हें सब सही लगेगा.’ मनीष ने कहा कि सभी लोग मनोज कुमार के काम करने के तरीके को सभी लोग जानते थे. उन्हें कौन मना कर सकता था, जिन्होंने उपकार, रोटी कपड़ा और मकान और क्रांति जैसी फिल्में बनाई हैं.