Last Updated:
किसान अब रासायनिक उर्वरकों की जगह वर्मी कंपोस्ट का उपयोग कर रहे हैं. कृषि एक्सपर्ट डॉ एनपी गुप्ता के अनुसार, वर्मी कंपोस्ट मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है और पौधों को रोगों से बचाता है.
केंचुआ खाद
हाइलाइट्स
- किसान वर्मी कंपोस्ट का उपयोग कर रहे हैं.
- वर्मी कंपोस्ट मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है.
- वर्मी कंपोस्ट पौधों को रोगों से बचाता है.
शाहजहांपुर: बदलते समय के साथ खेती के तरीके भी बदल रहे हैं. रासायनिक उर्वरकों के लगातार इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत बिगड़ती जा रही है, जिसे देखते हुए अब किसान जैविक खाद की ओर रुख कर रहे हैं. इन्हीं जैविक विकल्पों में से एक है वर्मी कंपोस्ट यानी केंचुआ खाद. यह खाद न केवल फसलों के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसे बनाना भी बेहद आसान है.
ज्यादातर किसान पशुपालन भी करते हैं, इसलिए पशुओं के गोबर से खेत में ही वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा सकता है.
रासायनिक खाद से नुकसान
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनपी गुप्ता बताते हैं कि रासायनिक उर्वरकों ने शुरूआत में फसल की पैदावार बढ़ाई जरूर, लेकिन इनके अधिक इस्तेमाल से मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता कम हो गई. वहीं, वर्मी कंपोस्ट मिट्टी को जरूरी पोषक तत्व देने के साथ उसकी बनावट भी सुधारता है. गोबर और फसल अवशेषों से बनने वाली यह खाद पौधों के लिए पोषण का समृद्ध स्रोत है. वर्मी कंपोस्ट न केवल फसल को उर्वरता देता है, बल्कि पौधों को बीमारियों से भी बचाता है.
ऐसे करें वर्मी कंपोस्ट की तैयारी
वर्मी कंपोस्ट के लिए सबसे पहले छायादार और ठंडी जगह जैसे पेड़ के नीचे या छप्पर के नीचे एक क्यारी बनाएं. यह क्यारी लगभग 3 फीट चौड़ी, 1 से 1.5 फीट गहरी और अपनी सुविधा के अनुसार लंबी होनी चाहिए. गोबर, सूखे पत्ते और फसल के अवशेषों को एक जगह इकट्ठा करें और गोबर को कम से कम 10 से 15 दिन तक ठंडा होने के लिए छोड़ दें. कभी भी ताजा (गर्म) गोबर का इस्तेमाल न करें.
जब गोबर में लगभग 30% नमी बच जाए, तब उसे क्यारी में भर दें और हर 5 क्विंटल गोबर के लिए 1 किलो केंचुए छोड़ दें. क्यारी को जूट के बोरे या सूखी पुआल से ढक दें.
केंचुआ करता है अंधेरे में काम
क्यारी को ढकना बेहद जरूरी है क्योंकि केंचुआ अंधेरे में ही सक्रिय होता है. यह केंचुआ गोबर और पत्तियों को खाकर उसका मल ऊपर छोड़ता है, जिससे खाद बनती है. यह प्रक्रिया लगभग 45 दिन चलती है और इस दौरान पूरा गोबर वर्मी कंपोस्ट में बदल जाता है. साथ ही, 45 दिन में केंचुओं की संख्या भी दोगुनी हो जाती है.
ध्यान रहे क्यारी में नमी बनाए रखना बहुत जरूरी है. गर्मियों में समय-समय पर क्यारी पर पानी का छिड़काव करते रहें. बारिश के समय क्यारी को ढककर रखें ताकि पानी भरने से केंचुए मर न जाएं. सर्दियों में ठंड से भी सुरक्षा जरूरी है.