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chilli advanced varieties :
इन किस्मो की रहती है बाजारों में काफी डिमांड
बाराबंकी. इस किसान ने पारंपरिक खेती से अलग हटकर नई राह दिखाई है. एक ही खेत में तीन अलग-अलग प्रकार की मिर्च की खेती शुरू की है। इसमें अचारी मिर्च, शिमला मिर्च और देशी मिर्च शामिल हैं किसान की इस अनूठी पहल से उन्हें प्रति वर्ष लाखों रुपए का मुनाफा हो रहा है। खास बात यह है कि गर्मियों के मौसम में इन मिर्चों की बाजार में अच्छी मांग रहती है। इस किसान की सफल खेती देख अन्य किसान भी अब इसी तरह की खेती की ओर रुख कर रहे हैं यह एक सफल उदाहरण है कि कैसे नई तकनीकों और विविधीकरण को अपनाकर कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।
जिले के इस किसान ने कई किस्म के मिर्च की खेती कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं जिसके लिए वह कई सालों से इन मिर्च की खेती करके अच्छी कमाई कर रहे हैं बाराबंकी जिले के निज़ामपुर गांव के रहने वाले किसान सतेंद्र कुमार ने सब्जियो की खेती के अलावा देसी मिर्च शिमला व अचारी मिर्च की खेती की शुरुआत की जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा देखने को मिला आज वह करीब एक एकड़ में इन मिर्च की खेती कर रहे हैं इस खेती से उन्हें एक लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं
इसकी खेती करने वाले किसान सत्येंद्र कुमार वर्मा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया वैसे तो सब्जियों की खेती करते है पर इधर दो वर्षो से देसी मिर्च शिमला मिर्च अचारी मिर्च की खेती कर रहे हैं क्योंकि इस खेती में लागत बेहद कम है मुनाफा कहीं अधिक है इस समय हमारे पास करीब एक एकड़ मे तीन किस्म की मिर्च लगी हुई है जिसमें लागत करीब एक बीघे में 15 से 20 हजार रुपये आती है क्योंकि इसमें बीज खाद कीटनाशक दवाइयां पानी आदि का खर्च आता है और वही मुनाफा करीब एक फसल पर 1 लाख से लेकर सवा लाख रुपए तक हो जाता है इन किस्मो की मिर्च की खास बात यह है इसकी मांग काफी ज्यादा रहती है क्योंकि इन मिर्च का उपयोग अचार पकौडा मसाला क़े आलावा और भी कई चीजों में किया जाता है जिससे यह काफी महंगी बिकती है
इसकी खेती करना बहुत आसान है पहले हम इसके बीज लाते है फिर उसकी नर्सरी तैयार करते हैं फिर खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई कर वर्मी कंपोस्ट वह जैविक खाद डाल कर पूरे खेत में मेड बनाई जाती है फिर इस पर पन्नी डाल करके थोड़ी-थोड़ी दूरी पर इन मिर्च के पौधे को लगाया जाता है उसके तुरंत बाद सिंचाई कर दी जाती है जब पेड़ थोड़ा बड़े होने लगते हैं फिर इसमें हम थोड़ी बहुत खाद वह कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना पड़ता है वही पौधा लगाने के महज 70 से 75 दिन बाद फसल निकलने लगती है जिसकी तोड़ाई कर बाजारों में बेच सकते हैं