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रामपुर की स्वार तहसील में घने जंगलों के बीच स्थित यह शाही दरगाह ऐतिहासिक, धार्मिक आस्था और रहस्य का प्रतीक है. यहां मन्नतें पूरी होने की मान्यता है और नौ सैयदों की मजारें विशेष श्रद्धा का केंद्र हैं.
घने जंगलों के बीच बसी शाही दरगाह, मुगलों से भी पुरानी होने का दावा, नौ सैयदों की
अंजू प्रजापति/रामपुर- रामपुर की तहसील स्वार में एक ऐसी शाही दरगाह मौजूद है जो घने जंगलों के बीच स्थित है. कहा जाता है कि यह दरगाह मुगल शासनकाल की है. इस स्थान की खास बात यह है कि आज भी यहां पर पुराने जमाने की शाही मस्जिद के अवशेष, मीनारों के निशान और नौ सैयदों की मजारें मौजूद हैं, जो इसे एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल बनाते हैं.
जंगली जानवरों के बीच भी सुरक्षित
दरगाह की देखरेख कर रहे बाबा सैलानी मस्तान बताते हैं कि यह इलाका पूरी तरह जंगल से घिरा हुआ है. यहां अक्सर तेंदुआ, भालू, सांप और बिच्छू जैसे जंगली जानवर देखे जाते हैं. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि आज तक किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, जो अपने आप में एक रहस्य जैसा प्रतीत होता है.
मन्नतों का स्थान
बाबा सैलानी के अनुसार, इस दरगाह पर दूर-दूर से लोग अपनी मन्नतें लेकर आते हैं. मुरादाबाद, बरेली, खोद और आसपास के कई इलाकों से लोग यहां आकर दुआ मांगते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो भी यहां सच्चे दिल से मन्नत मांगता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है.
नौ सैयदों की मजारों की आस्था
दरगाह के पास बनी नौ सैयदों की मजारें भी लोगों की गहरी आस्था का केंद्र हैं. माना जाता है कि ये सभी सैयद बड़े फकीर और अल्लाह के नेक बंदे थे. उनकी मजारों पर चादर चढ़ाकर लोग दुआ मांगते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति की कामना करते हैं.
आस्था, रहस्य और इतिहास का संगम
इस दरगाह की सबसे अनोखी बात यह है कि जहां एक ओर यह जगह घने जंगलों के बीच स्थित है, वहीं दूसरी ओर यह लोगों के आस्था और विश्वास का प्रतीक बन चुकी है. इसकी रहस्यमयी बनावट, पुरानी मस्जिद के अवशेष और सैयदों की मजारें इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाती हैं.