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मथुरा-वृंदावन में राधा-कृष्ण की रासलीलाओं की झलक आज भी जीवंत है. ‘वेणु कूप’ नामक कुआं राधा-कृष्ण की दिव्य लीलाओं का साक्षी माना जाता है.
जब राधा को प्यास लगी, तो कृष्ण ने अपनी बांसुरी बजाकर इस कुएं का निर्माण किया
हाइलाइट्स
- राधा की प्यास बुझाने के लिए कृष्ण ने बांसुरी से कुएं का निर्माण किया.
- मथुरा-वृंदावन में राधा-कृष्ण की रासलीलाओं की झलक आज भी मिलती है.
- ‘वेणु कूप’ राधा के प्रिय कुओं में से एक माना जाता है.
मथुरा: मथुरा-वृंदावन ही नहीं, पूरे ब्रजमंडल में राधा-कृष्ण की रासलीलाओं की झलक आज भी देखने को मिलती है. श्रीकृष्ण ने राधारानी के साथ जिन रासों का अनुभव किया था, वे आज भी ब्रज के कण-कण में जीवंत हैं. इन्हीं रासों से जुड़ा एक ऐसा स्थान भी है जो एक कुआं है. ये न सिर्फ भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है, बल्कि राधा-कृष्ण की दिव्य लीलाओं का साक्षी भी माना जाता है.
कुएं से जुड़ा रोचक प्रसंग
लोकल18 से बातचीत में इस स्थल के सेवायत गोस्वामी ने बताया कि जब रास-नृत्य के दौरान राधा और श्रीकृष्ण गोपियों से अलग होकर एकांत में चले जाते थे, तभी राधा रानी को प्यास लगी. उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी की मधुर तान से इस कुएं का निर्माण किया था. उन्होंने बताया कि यह कुआं राधा रानी के ‘प्रिय कुओं’ में से एक माना जाता है और इसे ‘वेणु कूप’ कहा जाता है- ‘वेणु’ यानी बांसुरी और ‘कूप’ यानी कुआं.
राधा-कृष्ण की लीला में छिपे गहरे रहस्य
सेवायत बताते हैं कि कई अवसरों पर श्रीकृष्ण राधा को लेकर अचानक गायब हो जाते थे, और फिर किसी एकांत स्थल पर प्रकट होते थे. कुछ बार राधा रानी को अकेला छोड़कर श्रीकृष्ण अदृश्य भी हो जाते थे, लेकिन योगमाया के प्रभाव से कोई भी उन घटनाओं को याद नहीं रख पाता था.
मान्यता आज भी है बरकरार
भक्ति-रत्नाकर ग्रंथ में उल्लेख है कि श्रीकृष्ण ने इस कुएं का ग्वाल-बालों की प्यास बुझाने के लिए निर्माण किया था. हालांकि आज यह कुआं भौतिक रूप से दिखाई नहीं देता, लेकिन इसकी मान्यता और आस्था आज भी जीवित है.