जौनपुर: यूपी के जौनपुर जनपद में एसडीएम पद पर तैनात पवन कुमार सिंह की कहानी हजारों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है. एक साधारण किसान परिवार में जन्मे पवन कुमार ने अपने संघर्ष, दृढ़ संकल्प और मेहनत के बल पर यह मुकाम हासिल किया है, जो कई युवाओं का सपना होता है. उन्होंने इंजीनियर बनने का सपना देखा था, लेकिन हालात और सोच में आए बदलाव ने उन्हें अफसर बना दिया.
किसान परिवार में हुआ जन्म
पवन कुमार सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद के एक छोटे से गांव में हुआ था. उनके पिता एक सामान्य किसान हैं और परिवार की आय मुख्य रूप से खेती पर ही निर्भर रही है. शुरुआती शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई. उन्हें पढ़ाई का शौक बचपन से था, लेकिन संसाधनों की कमी और चुनौतियां हमेशा उनके साथ रहीं.
बीएससी की पढ़ाई छोड़ बीए में लिया दाखिला
12वीं की पढ़ाई के के बाद पवन ने बीएससी (स्नातक विज्ञान) में दाखिला लिया. उनका सपना था कि वह एक दिन इंजीनियर बनें और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारें. उन्होंने कड़ी मेहनत की, लेकिन पढ़ाई के दौरान ही उन्हें एहसास हुआ कि विज्ञान की पढ़ाई और इंजीनियरिंग की राह उनके भीतर की सच्ची चाहत नहीं है. इस आत्मविश्लेषण के बाद उन्होंने बीएससी बीच में ही छोड़ दी और बीए (स्नातक कला वर्ग) में दाखिला लिया.
अपने लक्ष्य से नहीं मोड़ा मुंह
बीए की पढ़ाई करते हुए उनका रुझान सिविल सेवा की ओर बढ़ा. उन्होंने तय किया कि अब वह अफसर बनेंगे और समाज में बदलाव लाएंगे. इस निर्णय के बाद पवन कुमार ने खुद को पूरी तरह से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में झोंक दिया. सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी. गांव के माहौल, परिवार की उम्मीदों के बीच भी उन्होंने अपने लक्ष्य से मुंह नहीं मोड़ा.
अब एसडीएम के पद पर हैं तैनात
कई असफलताओं के बावजूद पवन कुमार सिंह डटे रहे. उन्होंने राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी और अंततः सफलता हासिल की. उनका चयन पीसीएस में हुआ और वर्तमान में वह जौनपुर जिले में एसडीएम सदर के पद पर कार्यरत हैं. आज जब वह अफसर के रूप में जनता की सेवा कर रहे हैं, तो उनका गांव और परिवार गर्व से भर उठता है. पवन कुमार खुद मानते हैं कि यदि उन्होंने इंजीनियर बनने के अपने सपने को छोड़ने का साहस न दिखाया होता, तो शायद आज वह इस पद तक नहीं पहुंच पाते.
पवन की सफलता युवाओं के लिए है मिसाल
पवन कुमार सिंह की यह कहानी बताती है कि कभी-कभी राह बदलने से मंजिल और बेहतर मिलती है. जरूरी है तो सिर्फ अपने अंदर की आवाज सुनना, मेहनत करना और हार न मानना. पवन कुमार सिंह आज भी युवाओं को यही संदेश देते हैं कि लक्ष्य चाहे जो हो, ईमानदारी और लगन से कोशिश की जाए तो सफलता जरूर मिलती है. उनकी यह यात्रा एक मिसाल है कि कैसे एक किसान का बेटा अपने सपनों को साकार कर समाज के लिए प्रेरणा बन सकता है.