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Maa Vindhyavasini Dham: यूपी के मिर्जापुर स्थित मां विंध्यवासिनी धाम में नवरात्रि में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. यहां भक्त प्रसाद के रूप में नारियल चुनरी के साथ ही लाठी भी खरीदते हैं. यहां की परंपरा है कि इस ल…और पढ़ें
लाठी
हाइलाइट्स
- मां विंध्यवासिनी धाम में लाठी खरीदना परंपरा है.
- लाठी घर में रखने से बुरी शक्तियां दूर रहती हैं.
- नवरात्रि में लाठी की बिक्री सबसे अधिक होती है.
मिर्जापुर: देश के अलग-अलग मंदिरों में दर्शन से पहले भक्त प्रसाद में माला और चुनरी खरीदते हैं. प्रसाद के तौर पर उसे घर ले जाते हैं. हालांकि यूपी के मिर्जापुर जिले के मां विंध्यवासिनी धाम की अलग ही परंपरा है. यहां दर्शन के बाद भक्त चुनरी की बजाय लाठी खरीदकर घर ले जाते हैं. जहां घर में रखतें हैं. मान्यता है कि लाठी घर में रहने से बुरी शक्तियां दूर भागती हैं. दूर-दराज से आए भक्त धाम में लाठी खरीदना नहीं भूलते हैं. धाम में मिलने वाली लाठी यहां के जंगलों में मिलती हैं. वहीं, अलग-अलग दुकानदारों द्वारा इसकी बिक्री भी की जाती है.
जानें दुकानदार ने क्या बताया
दुकानदार सुरेश कुमार ने लोकल 18 से बताया कि प्राचीन समय से लाठी बिकती चली आ रही है. यहां जो भी भक्त आते हैं. वह लाठी खरीदकर ले जाते हैं. यहां पर जड़, प्लेन लाठी और बुजुर्गों के लिए अलग-अलग लाठी और अलग-अलग साइज में मिलती है. नवरात्रि में सबसे अधिक लाठी की बिक्री होती है. दूर वाले भक्त लाठी जरूर खरीदते हैं.
वहीं, नवरात्रि में भीड़ ज्यादा होती है. इसलिए लाठी की डिमांड रहती है. ग्रामीणांचल से आने वाले भक्त भी अधिक से अधिक लाठी खरीदते हैं. इसे मां का प्रसाद भी माना जाता है. इसका दाम भी ज्यादा नहीं है और फायदे काफी हैं. यहां लाठियों की बिक्री बड़ी मात्रा में होती है.
ऐसे तैयार होती है लाठी
सुरेश कुमार ने बताया कि लाठी को विंध्य पर्वत के जंगलों से काटकर लाया जाता है. निगम की ओर से नीलामी के बाद कारीगर खरीदते हैं. टेढ़ी-मेढ़ी लाठी को तेज आंच पर गर्म करके सीधा किया जाता है. पुनः अलग-अलग साइज की लाठी बनाई जाती है. तेज आंच से ही लाठी पर नक्कासी की जाती है और डिजाइन बनाया जाता है. नवरात्रि के अलावा आम दिनों में भी भक्त लाठी खरीदकर ले जाते हैं. इसकी विशेष मान्यता है.