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Varanasi me murkho ka mela : इसे मूर्खों का मेला एक खास कारण से कहते हैं. इसमें ऐसे ऐसे काम होते है जिसे देख लोग हंसते-हंसते पेट पकड़ लेते हैं. लड़की को दूल्हा और लड़के को साड़ी पहनाकर दुल्हन बनाया जाता है.
वाराणसी में लगा मूर्खो का मेला
हाइलाइट्स
- वाराणसी में मूर्खों का मेला हर साल 1 अप्रैल को लगता है.
- लड़की को दूल्हा और लड़के को दुल्हन बनाकर शादी कराई जाती है.
- मेले में कवि अपनी कविताओं से लोगों को हंसाते हैं.
वाराणसी. महादेव की नगरी काशी अड़भंगियों का शहर है. इसी अद्भुत शहर में हर साल मूर्खों का मेला लगता है. ये मेला अपने अजब गजब काम के लिए पूरे शहर में मशहूर है. हर साल एक अप्रैल यानी मूर्ख दिवस के दिन (April Fools Day) वाराणसी के राजेंद्र प्रसाद घाट पर इसकी महफिल सजती है और पूरे रात हसीं ठिठोली का दौर चलता है. इसे मूर्खों का मेला इसलिए कहते हैं क्योंकि इसमें ऐसे-ऐसे काम होते हैं जिसे देख लोग ठहाके लगाकर हंसते हैं. इस मेले में लड़की को दूल्हा और लड़के को साड़ी पहनाकर दुल्हन बनाया जाता है. फिर अजीबों-गरीब मंत्रों के बीच उनकी शादी कराई जाती है. शादी में फेरे भी उल्टे लिए जाते है. शादी के कुछ ही घण्टों बाद दूल्हा दुल्हन में विवाद होता है और शादी चंद घण्टों में तलाक तक पहुंच जाती है.
तलाक का कारण भी अजीब
आयोजन से जुड़े दमदार बनारसी बताते हैं कि इस शादी के बाद दुल्हन ये कहकर दूल्हे को तलाक देती है कि वो टकला है और दूल्हा दुल्हन के मूछ होने का आरोप लगाता है. इस महामूर्ख मेले में पूरे रात शहर के जाने माने कवि लोगों को अपनी कविताओं के जरिए हसांते हैं. इस दौरान देश के ज्वलंत मुद्दों पर कवि अपने कविताओं के जरिए चुटकी लेते हैं. लोग इस पर खुलकर ठहाके लगाकर हसंते हैं.
जुटते हैं हजारों लोग
इस मेले में हर साल हजारों लोग जुटते हैं. काशी का राजेन्द्र प्रसाद घाट इस दिन बनारसियों से खचाखच भरा होता है. काशी में इस अनोखे मेले का इतिहास भी दशकों पुराना है.