वक्फ बोर्ड ने ईसाई और हिंदुओं की जमीन को बताया अपना
देश में वक्फ बोर्ड बिल संशोधन पर चर्चा तेज है। कल लोकसभा में इस बिल को पेश किया जाएगा। वक्फ बिल को लेकर कई ऐसी घटनाए हैं, जो हमेशा चर्चा में रहती हैं। पिछले साल केरला स्टेट वक्फ बोर्ड ने एर्नाकुलम के पास मुनम्बम तटीय इलाके में रहने वाले 600 ईसाई और हिन्दू परिवारों की करीब 404 एकड़ जमीन को अपना बता दिया। ये जमीन इन परिवारों के पास पीढ़ियों से थी।
कई परिवारों ने दस्तावेजों के साथ इस बात की पुष्टि की
वक्फ बोर्ड की ओर से किए गए दावे में कहा गया कि दशकों पहले फारूक कॉलेज ने इस जमीन को वक्फ को दे दिया था, जबकि यहां रहने वाले कई परिवारों ने दस्तावेजों के साथ इस बात की पुष्टि की कि इस जमीन को कई अरसे पहले उनके परिवार वालों ने फारूक कॉलेज के मालिकों से खरीदा था।
वक्फ बोर्ड के खिलाफ उठे विरोध के स्वर
इस बात को लेकर पूरे केरला में वक्फ बोर्ड के खिलाफ विरोध के स्वर उठने लग गए। कैथोलिक बिशप्स की सबसे बड़ी बॉडी केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल (KCBC) ने वक्फ बोर्ड के खिलाफ लोगों के विरोध को अपना समर्थन दिया और मामला राजनीतिक तौर पर भी गरमा गया।
KCBC ने केरला के सभी चुने सांसदों से की अपील
KCBC के इस रुख के बाद केरला में CPM के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ LDF और कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी गठबंधन UDF को बड़ा झटका लगा। अब KCBC ने एक ओर बड़ा झटका दिया है। मुनम्बम जमीन विवाद को केंद्र में रखते हुए KCBC ने केरला के सभी चुने हुए सांसदों से अपील की है कि वे वक्फ बिल में उन सुधारों का समर्थन करें, जिससे मुनम्बम में रहने वाले परिवारों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।
क्या है KCBC
बीजेपी के लिए हो गया फायदा
केरला में अपनी सियासी जमीन को और भी मजबूत करने की कोशिश में जी जान से जुटी BJP के लिए KCBC का ये फैसला राजनीतिक तौर पर एक मेजर ब्रेक थ्रू हो सकता है। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं। इसे समझने के लिए KCBC की ताकत को समझना होगा।
केरला में ईसाई समुदाय कुल आबादी का 20 फीसदी
KCBC केरला में सिरो मालाबार, सिरो मलंकरा और लेटिन चर्च के बिशप्स का एक बड़ा और प्रभावशाली संगठन है। केरला में ईसाई समुदाय कुल आबादी का लगभग 20 फीसदी है, जो विधानसभा की 140 सीटों में से तकरीबन 40 फीसदी सीटों पर उम्मीदवारों की हारजीत का फैसला करता है।
मलंकरा ईसाई समुदाय का बोलबाला
केरला के दक्षिणी हिस्से में सिरो मलंकरा ईसाई समुदाय का बोलबाला है, जबकि मध्य और उत्तरी केरला में सिरो मालाबार समुदाय का प्रभुत्व है। यही समुदाय केरला में सबसे ज्यादा ताकतवर है। लेटिन कैथोलिक तीसरा बड़ा समुदाय है, मुनम्बम के प्रभावित ईसाईयों में इसी समुदाय से जुड़े लोग ज्यादा हैं।
बीजेपी को नजर आ रहा फायदा
KCBC संगठन को आसान शब्दों में समझें तो KCBC इन तीन बड़े समुदायों की रहनुमाई करने वाले धर्म गुरुओं का एक सम्मिलित समूह है। इसीलिए KCBC के वक्फ संशोधन के समर्थन में BJP को सियासी फायदा नजर आ रहा है।
कांग्रेस से खिसका वोट बैंक
अब अगर ये समझें कि इससे BJP को क्या फायदा होगा? इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि 20 फीसदी आबादी वाला ईसाई समुदाय AK एंथनी और उम्मन चांडी और KM मानी के समय में एक मुश्त कांग्रेस को समर्थन देता था। एंथनी और उम्मन चांडी के निधन और KM मानी की पार्टी के LDF में शामिल होने जाने के बाद बड़े पैमाने पर ये वोट बैंक कांग्रेस से खिसक गया।
BJP और RSS केरल में जी तोड़ मेहनत कर रहे
वर्तमान स्थिति की बात कर लें तो इस 20 फीसदी में से 80 फीसदी ईसाई वोट अब LDF के साथ मजबूती से खड़ा है। BJP की नजर इस वोट बैंक में सेंध लगाने के साथ साथ बाकी 20 फीसदी पर भी है, जिसके लिए BJP और RSS केरला में जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनावों में BJP उम्मीदवार सुरेश गोपी की त्रिशुर से जीत की मुख्य वजह भी यही रही कि ईसाई वोटर्स की एक बडी तादात ने पहली बार BJP का समर्थन किया।
केरल में ईसाई समुदाय से जुड़े फैक्ट
धर्म परिवर्तन का भी चल रहा खेल
सिर्फ मुनम्बम जमीन विवाद ही एक मसला नहीं है। मुस्लिम युवकों द्वारा ईसाई युवतियों को प्रेम जाल में फंसाकर उनका धर्म परिवर्तन करने की बढ़ती हुई घटनाओं ने भी ईसाई समुदाय को BJP की ओर आकर्षित किया है। साथ ही केरला में मुस्लिम और ईसाई समुदाय व्यापारिक दृष्टि से एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी हैं। ईसाई समुदाय को ऐसा लगता है कि चाहे वो LDF हो या UDF व्यापार के मामले में दोनों ही धड़े मुस्लिम समुदाय को ज्यादा तवज्जों देते हैं।
बीजेपी की ओर क्यों आकर्षित हो रहा ईसाई समुदाय
ईसाई समुदाय की BJP की ओर आकर्षित होने की सबसे मुख्य वजह ये भी है कि केरला में ईसाई समुदाय के कई बड़े-बड़े शैक्षणिक और अन्य संस्थान चल रहे हैं। इनकी ज्यादातर फंडिंग विदेशों से हो रही है। समुदाय के लोगों को इस बात का अहसास है कि केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली NDA की सरकार काफी मजबूत है। केंद्र की सरकार से सौहार्द पूर्ण रिश्ते वक्त की जरूरत है।
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट परसेंट बढ़ा
इन सब फैक्टर्स के चलते BJP को ईसाई वोट बैंक में सेंध लगाने का सुनहरा मौका मिला है और केरला में BJP का बढ़ता वोट बैंक भी इसी बात की ओर इशारा कर रहा है, 2024 के चुनावों में NDA का वोट परसेंट बढ़कर करीब 19 फीसदी हो गया जिसमें से BJP का वोट प्रतिशत पिछले चुनावों के मुकाबले करीब 3 फीसदी बढ़कर 16 फीसदी हो गया।
केरला में BJP दे सकती है सरप्राइज
BJP को लगता है कि कांग्रेस के ईसाई वोट, LDF के ईसाई वोट को अपनी तरफ करने से पार्टी ओर भी मजबूत होगी। BJP के लिए अच्छी खबर ये भी है कि राज्य में हिंदुओं का सबसे बड़ा तबका जिसे इझवा कम्युनिटी के नाम से जाना जाता है। ये तबका भी BJP की तरफ झुक रहा है। हिंदुओं में इझवा की आबादी तकरीबन 24 फीसदी है। नायर पहले से ही BJP का साथ देते हैं। अगर इझवा जो कि परम्परागत रूप से CPM का वोट बैंक हैं। BJP उसमें भी सेंधमारी कर लेती है, तो आने वाले चुनावों में ईसाई और इझवा के वोटों के दम पर BJP एक बड़ा सरप्राइज दे सकती है।