Sonbhadra News – विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति 09 अप्रैल को लखनऊ में बिजली के निजीकरण के खिलाफ विशाल रैली का आयोजन करेगी। समिति के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि निजीकरण में पारदर्शिता नहीं है और भ्रष्टाचार हो…

अनपरा,संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति बिजली के निजीकरण के खिलाफ आगामी 09 अप्रैल को लखनऊ में विशाल रैली कर अपना विरोध जतायेगी। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने सोमवार को आरोप लगाया कि निजीकरण की प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है और भ्रष्ट आचरण अपनाया जा रहा है। संयोजक संघर्ष समिति शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि वर्ष 2017 में जब वर्तमान सरकार बनी थी तब ए टी एंड सी हानियां 40 प्रतिशत से अधिक थी जो 31 मार्च 2024 तक घटकर 16.5 प्रतिशत रह गई हैं। राष्ट्रीय मानक 15 प्रतिशत लाइन हानियों का है जिसे बिजली क र्मी अपने प्रयास से कुछ ही महीनों में 15 प्रतिशत से नीचे ले आएंगे। अतः जब लाइन हानियां राष्ट्रीय मानक से नीचे आने जा रही है तो उत्तर प्रदेश की 42 जनपदों की लाखों करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के दाम निजी घरानों को बेचने की कोशिश क्यों की जा रही है। संघर्ष समिति ने कहा कि यह पता चला है कि पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट मेसर्स ग्रांट थॉर्टन के लोग पावर कारपोरेशन के निदेशक वित्त के कमरे से ही काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि यह सही है तो उत्तर प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस और पारदर्शिता की नीति की खुल्लम-खुल्ला धज्जियां उड़ाई जा रही है। संघर्ष समिति ने कहा कि इसके पहले ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति के डॉक्यूमेंट में कनफ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट (हितों के टकराव) के प्राविधान को हटा दिया गया था। निजीकरण हेतु नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में आरडीएसएस स्कीम के अंतर्गत स्मार्ट मीटरिंग का काम कर रही है। यह सीधे-सीधे कनफ्लिक्ट आप इंटरेस्ट का मामला है।