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Meerut jail: जेलों को यातना गृह से हटकर सुधार गृह बनाने पर जोर दिया जा रहा है. कई मामलों में इसके नतीजे भी बेहतर देखने के लिए मिले हैं. इससे इस दिशा में औऱ ज्यादा जोर दिया जा रहा है.
किताब की जानकारी देते हुए
मेरठ: गुस्सा करना वैसे भी सही नहीं माना जाता. यह सेहत के लिए और आसपास के माहौल के लिए भी अच्छा नहीं होता. कई बार ऐसी खबरें भी सामने आई हैं जब लोगों का गुस्सा इतना आउट ऑफ कंट्रोल हो जाता है कि वो किसी के जीवन को बर्बाद तक कर देता है. इसकी गवाही आजीवन कारावास काट रहे बंदी की लिखी गई किताब मेरा आईना है. चौधरी चरण सिंह जिला कारागार मेरठ में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी ने किताब अपने जीवन पर ही लिखी है. ऐसे में लोकल 18 की टीम ने वरिष्ठ जेल अध्यक्ष डॉक्टर वीरेश राज शर्मा से कैदी की लिखी किताब को लेकर खास बातचीत की.
सुधार की तरफ एक कदम है यह किताब
वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने बताया कि आजीवन कारावास बंदी रजनीश पहले मुजफ्फरनगर जेल में बंद था. बाद में उसे मेरठ की जेल में ट्रांसफर किया गया. मेरठ जिला कारागार में बंद रहते हुए ही बंदी रजनीश ने मेरा आईना किताब लिखी है. इस किताब में बंदी ने अपने जीवन के 22 साल के अनुभवों का जिक्र करते हुए युवाओं से गुस्से से दूर रहने की अपील की है. उनका कहना है कि जीवन में एक पल का गुस्सा युवाओं को अपराध की दुनिया से जोड़ देता है. ऐसे में अगर वह उस एक पल के गुस्से को काबू कर ले तो जीवन भर पछतावा नहीं करना होगा. यही नहीं इस किताब में गलती को स्वीकार करने का भी फायदा बताया गया है.
सभी जेल में भेजी जाएगी किताब
वरिष्ठ जेल अधीक्षक के अनुसार इस किताब के सभी सेट अन्य जेल में भी भेजे जाएंगे जिससे बंदी इस किताब को पढ़ते हुए अपने जीवन में सुधार ला सकें. इस किताब में जेल के अंदर रहकर भी तनाव को दूर करने के तरीकों के बारे में बताया गया है. वह कहते हैं जेल के प्रति आज भी समाज में अनेक धारणाएं देखने को मिलती है. लोग जेल जाने के बाद उस व्यक्ति के छूटने के बाद भी उसे अपराधी की तरह देखते हैं. यहां तक कि अब तो जेल में भी बंदियों को सजा देने की जगह कैदी सुधार पर काम किया जा रहा है. इसका सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिल रहा है.
प्रेम से जेल तक का सफर
बताते चलें कि मूल रूप से मेरठ के भावनपुर थाना क्षेत्र के लालपुर गांव के रहने वाले बंदी रजनीश वर्ष 1999 में ट्रिपल मर्डर की घटना में गिरफ्तार हुए थे. इसमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली थी. उस समय रजनीश की उम्र 21 वर्ष थी. रजनीश अपने परिवार के इकलौते पुत्र हैं. किताब में उल्लेख करते हुए रजनीश ने बताया है कि वह एक लड़की से मोहब्बत करते थे लेकिन उस लड़की की मौत हो गई थी. इसी बात से गुस्साए रजनीश ने प्रेमिका के दादा-पिता और भाई की हत्या कर दी थी. इन तीनों हत्याओं के मामले में ही रजनीश को आजीवन कारावास की सजा हुई थी. अब वह अपनी किताब और रचनाओं के जरिए अन्य लोगों को अपराध से दूर रहने की सीख दे रहे हैं.
Meerut,Uttar Pradesh
March 09, 2025, 19:51 IST