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Mahabharat Katha: राजा विराट के सेनापति का नाम कीचक था जो राजा का साला भी था. कीचक बहुत ही शक्तिशाली और अत्याचारी था. उसे अपने बल और पद का बहुत घमंड था. यह कथा अन्याय के विरुद्ध संघर्ष और धर्म की रक्षा का संदेश…और पढ़ें
महाभारत कथा
हाइलाइट्स
- भीमसेन ने कीचक का वध किया.
- कीचक ने द्रौपदी का अपमान किया था.
- कहानी सिखाती है अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना.
Mahabharat Katha: महाभारत एक ऐसा ग्रंथ जो हमें धर्म, न्याय और साहस की सीख देता है. इस महाकाव्य में कई ऐसे किस्से हैं जो आज भी हमें प्रेरणा देते हैं. महाभारत के अज्ञातवास काल में पांडवों ने राजा विराट के दरबार में अलग-अलग रूप धारण किए. सेनापति कीचक ने अपनी शक्ति के घमंड में द्रौपदी का अपमान किया, जिससे भीम अत्यंत क्रोधित हो गए. यह कहानी हमें सिखाती है कि अन्याय के खिलाफ हमेशा आवाज उठानी चाहिए भले ही परिस्थितियां कितनी भी मुश्किल क्यों न हों.
पांडवों का अज्ञातवास और कीचक का उदय
बात उस समय की है जब पांडव अपना 13 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास काट रहे थे. अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने अपना नाम और वेश बदलकर राजा विराट के यहां शरण ली थी. युधिष्ठिर ने कंक नाम से ब्राह्मण बनकर राजा की सभा में द्यूत खेल खिलाने का काम करते थे. भीमसेन ने बल्लव नाम से रसोई घर संभाला था, अर्जुन ने वृहन्नला नाम से किन्नर बनकर राजा की बेटी को नृत्य सिखाया, नकुल ने ग्रन्थिक नाम से घोड़ों की देखभाल की, सहदेव ने तन्तिपाल नाम से गायों की देखभाल की और द्रौपदी ने सैरन्ध्री नाम से रानी की सेवा में लगी रहीं.
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कीचक का अत्याचार और द्रौपदी का अपमान
राजा विराट के सेनापति का नाम कीचक था जो राजा का साला भी था. कीचक बहुत ही शक्तिशाली और अत्याचारी था. उसे अपने बल और पद का बहुत घमंड था. वह अक्सर गरीबों और कमजोरों पर अत्याचार करता था.
कीचक की नजर द्रौपदी पर पड़ी
द्रौपदी की सुंदरता देखकर वह मोहित हो गया. उसने द्रौपदी को अपने प्रेम जाल में फंसाने की कोशिश की लेकिन द्रौपदी ने उसकी बातों को ठुकरा दिया और उसे फटकार लगाई. इससे कीचक बहुत क्रोधित हुआ और उसने भरी सभा में द्रौपदी का अपमान किया.
भीम का क्रोध और कीचक का अंत
द्रौपदी के अपमान की बात सुनकर भीमसेन का क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच गया. उन्होंने द्रौपदी से कहा कि वह कीचक को उसके पापों की सजा देंगे. भीमसेन ने कीचक को मारने की योजना बनाई. उन्होंने द्रौपदी को कहा कि वह कीचक को कहे कि वह उससे प्रेम करती हैं और उससे मिलना चाहती है. कीचक यह सुनकर बहुत खुश हुआ और वह द्रौपदी से मिलने के लिए तैयार हो गया. भीमसेन द्रौपदी के वेश में कीचक से मिलने गए. कीचक ने उन्हें द्रौपदी समझकर अपने बाहों में भर लिया तभी भीमसेन ने अपना असली रूप दिखाया और कीचक को मौत के घाट उतार दिया.
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इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
कीचक के वध की कहानी हमें सिखाती है कि हमें कभी भी अन्याय के सामने नहीं झुकना चाहिए. हमें हमेशा सच और धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए. भले ही परिस्थितियां कितनी भी मुश्किल क्यों न हों. हमें अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए. यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि हमें अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. हमें हमेशा गरीबों और कमजोरों की मदद करनी चाहिए.
March 09, 2025, 13:59 IST