भोपाल: 76वें गणतंत्र दिवस पर मध्य प्रदेश की भी झांकी को प्रदर्शित किया गया। इस बार कर्तव्य पथ पर चीतों की ऐतिहासिक वापसी वाली मध्य प्रदेश की झांकी आकर्षण का केंद्र बनी। वहीं 76वें गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर मध्य प्रदेश की झांकी ने देशवासियों का दिल जीत लिया। इस झांकी में चीतों के संरक्षण और पुनर्वास में अहम भूमिका निभाने वाले ‘चीता मित्रों’ को भी प्रमुखता से दिखाया गया। वहीं मध्य प्रदेश की इस झांकी को लेकर सीएम डॉ. मोहन यादव ने हर्ष व्यक्त किया है। बता दें कि सितंबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए चीतों को पुनर्स्थापित कर नया इतिहास रचा था।
इको-टूरिज्म को मिलेगा प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि ‘चीतों की ऐतिहासिक वापसी’ पर आधारित झांकी ने राज्य की समृद्ध जैव विविधता को उजागर किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि चीतों का आगमन न केवल हमारे इको-टूरिज्म को प्रोत्साहन देगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा कि ‘चीतों की ऐतिहासिक वापसी’ पर आधारित झांकी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई ‘चीता पुनर्वास परियोजना’ की सफलता को उत्कृष्टता से रेखांकित किया।
चीतों को बसाने के कार्यक्रम पर बनी झांकी
बता दें कि मध्यप्रदेश की झांकी में राज्य के श्योपुर जिले में कूनो नदी के तट पर स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को सफलतापूर्वक बसाने के कार्यक्रम को प्रदर्शित किया गया। झांकी के सामने वाले हिस्से में सफलता की कहानी को जीवंत रूप से दर्शाते हुए, बसाए गए चीतों की एक जोड़ी को उनके शावकों के साथ दिखाया गया। झांकी के मध्य भाग में राष्ट्रीय उद्यान के हरे-भरे जंगलों से घिरी बहती हुई कूनो नदी को दर्शाया गया। इसमें हिरण, बंदर और चीते जैसे वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में दिखाया गया। झांकी में कूनो को जैव विविधता और चीता की बढ़ती आबादी के लिए एक आदर्श स्थान के रूप में रेखांकित किया गया।
दर्शाया गया श्योपुर का पारंपरिक नृत्य
इसके अलावा झांकी के मध्य भाग के पिछले हिस्से में एक पेड़ के नीचे ‘चीता मित्र’ को दिखाया गया, जो स्थानीय समुदाय के सदस्यों को चीता संरक्षण के बारे में जागरुक कर रहा था। झांकी के अंतिम भाग में वन कर्मियों और टीम के अन्य सदस्यों को ‘वॉचटावर’ से चीतों की निगरानी करते हुए दिखाया गया, जो इस परियोजना को सफल बनाने में उनके निरंतर और सक्रिय प्रयासों को दर्शाता है। झांकी के साथ एक नृत्य मंडली ने श्योपुर का पारंपरिक लहंगी नृत्य प्रस्तुत किया, जिसने इसे एक जीवंत सांस्कृतिक स्पर्श दिया।
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