Kumbh Mela 2025: महाकुंभ स्नान करने के लिए लाखों की संख्या में लोग प्रयागराज पहुंच रहे हैं। अबतक 11.47 करोड़ से अधिक लोगों ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई है और लगातार से आंकड़ा बढ़ रहा है। माना जाता है कि पवित्र स्नान करने के बाद जातक के सभी पाप धुल जाते हैं और वह मृत्यु पश्चात मोक्ष की प्राप्ति करता है। स्नान के अलावा, पंचकोशी परिक्रमा को भी शास्त्रों में मोक्ष का मार्ग कहा गया है। माना जाता है कि अगर कोई पंचकोशी परिक्रमा करता है, तो उसकी आत्मा शुद्ध होती है, साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होना तय हो जाता है।
क्यों विशेष है महाकुंभ की पंचकोशी परिक्रमा?
पंचकोशी परिक्रमा तीर्थराज प्रयाग के चारों ओर की विशेष यात्रा है, जो करीबन 60 किमी (20) में फैली है। इसमें 3 मुख्य वेदियां अंतर्वेदी, मध्यवेदी और बहिर्वेदी शामिल है। यह परिक्रमा संगम घाट, गंगा-यमुना घाट, प्रयाग के तीर्थ स्थल, कुंभ क्षेत्र और कई पौराणिक आश्रमों से होकर गुजरता है। माना गया है कि प्रयागराज का यह कुंभ 144 साल बाद एक शुभ संयोग में लगा है। ऐसे में जो जातक इस महाकुंभ में स्नान ने बाद पंचकोशी परिक्रमा करता है, उसे संन्यासियों के बराबर प्रतिफल मिलेगा।
परिक्रमा के क्या हैं लाभ?
पंचकोशी परिक्रमा करने से जातक को आध्यात्मिक शांति और पवित्रता का सुखद अनुभव मिलता है। इससे पांच विकार काम, क्रोध, मोह, मद और लोभ से मुक्ति भी मिलती है। इसे करने से सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)